लोकसभा के बाद विधेयक का उच्च सदन में भी पारित होना तय है, बावजूद इसके लागू होने के लिए लंबा इंतजार करना होगा। अधिनियम परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन पर 2026 तक रोक है। 2021 की जनगणना भी नहीं हुई है।
महिला आरक्षण विधेयक को विभिन्न सरकारों की पहले चार बार पारित कराने की नाकाम कोशिश हुई। हर बार एससी-एसटी और ओबीसी कोटा की मांग के कारण इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। विधेयक पारित कराने के दौरान कभी माइक टूटे तो कभी बिल की प्रति फाड़ी गई। हालांकि इस बार विरोध करने वाले दलों ने किंतु-परंतु के साथ विधेयक के पक्ष में मतदान किया। वह इसलिए कि दशकों बाद बने महिला वोट बैंक को नाराज करने का जोखिम उठाने की स्थिति में कोई भी दल नहीं है।
इस बार खास बात यह भी रही कि लोकसभा में 27 महिला सांसदों ने पार्टी लाइन से उठकर बिल का समर्थन किया। वर्तमान में लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं। हालांकि इन सांसदों ने बिल में ओबीसी, एससी-एसटी कोटा शामिल करने, बिना किसी देरी इसे लागू करने की मांग की। कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी नेता सुप्रिया सुले, डीएमके की कनिमोझि, सपा की डिंपल यादव और शिअद से हरसिमरत कौर ने बहस में हिस्सा लिया। सांसद सुमलता अंबरीश, शर्मिष्ठा सेठी, जसकौर मीना, संध्या रे, नवनीत राणा, वीणा देवी, सुनीता दुग्गल, एस. जोतिमणि, भावना गवली (पाटिल), संगीता आजाद, राजश्री मल्लिक, गीता विश्वनाथ वंगा, काकोली घोष दस्तीदार, डॉ. बीसेटी वेंकट सत्यवती, राम्या हरिदास, गोमती राय, कविता सिंह, अगाथा के संगमा, अपराजिता सारंगी, शारदाबेन पटेल और शताब्दी रॉय भी चर्चा में शामिल हुईं।
लंबी है डगर
लोकसभा के बाद विधेयक का उच्च सदन में भी पारित होना तय है, बावजूद इसके लागू होने के लिए लंबा इंतजार करना होगा। अधिनियम परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन पर 2026 तक रोक है। 2021 की जनगणना भी नहीं हुई है। आगामी लोकसभा चुनाव के बाद सबसे पहले जनगणना होगी, फिर परिसीमन आयोग जनगणना के आंकड़ों के आधार पर नई सीटें बनाएगा। ऐसे में कानून लागू होने के लिए 2029 के लोकसभा चुनाव तक इंतजार करना होगा।
यूएन वुमन ने कहा-भारत का साहसी कदम
यूनाइटेड नेशंस (यूएन) वुमन ने महिला आरक्षण विधेयक को सभी दलों का समर्थन मिलने की उम्मीद जताई है। संस्था की भारत प्रतिनिधि सूजन फर्ग्युसन ने कहा, इस विधेयक के जरिए नीतियों व राजनीति में महिलाओं को कोटा देना लैंगिक समानता व महिला अधिकारों के लिए बेहद जरूरी है। भारत संसद में महिलाओं को आरक्षण देने वाले 64 देशों में शामिल हो गया है। फर्ग्युसन के अनुसार संसद में 30 प्रतिशत प्रतिनिधित्व महिला सशक्तीकरण के लिए सकारात्मक परिणाम लाता है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि यह आरक्षण न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में महिलाओं को संसद में 50 प्रतिशत भागीदारी देने में मददगार साबित होगा। यह साहसी और परिवर्तनकारी कदम है, जो महिला विकास व लैंगिक समानता के प्रति भारत की की प्रतिबद्धता दर्शाता है। विश्व भर में 26.7 प्रतिशत संसदीय सीटों पर महिलाएं हैं, स्थानीय सरकारों में भी उनकी भागीदारी 35.5 फीसदी है।