वरिष्ठ पत्रकार किदवई कहते हैं कि सोनिया गांधी बहुत ही सधी हुई राजनीति करती आई हैं। एक तरफ वो लालू-नीतीश और अखिलेश यादव की राजनीति को मजबूती प्रदान कर रही हैं। दूसरी तरफ वो एनडीए में राजनीतिक समस्या खड़ी करने के प्रयास कर रही हैं। क्योंकि भाजपा और एनडीए में ओबीसी और पिछड़ा ग्रुप बहुत ही मजबूत है। कई बड़े नेता इस वर्ग से आते हैं। इसलिए सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस ने यह मुद्दा उठाया है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में नारी शक्ति वंदन नाम से महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया। 2024 चुनाव से पहले मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माने जा रहे इस बिल ने एक बार तो विपक्षी पार्टियों को भी असमंजस में डाल दिया। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने संसद भवन जाते हुए इस बिल को अपना बता दिया तो दूसरी पार्टियों के नेता भी विरोध नहीं कर पार रहे थे। इससे ऐसा लग रहा था कि, मोदी सरकार ने मैदान मार लिया। लेकिन 24 घंटे बाद ही लोकसभा में हुए सोनिया गांधी के भाषण ने सरकार को उलझा कर रख दिया। सोनिया ने साफ कहा कि, कांग्रेस पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। हमें इस बिल के पेश होने की खुशी है, लेकिन एक चिंता भी है। हमारी मांग है कि ये बिल तुरंत पास किया जाए लेकिन जातिगत जनगणना कराकर इसमें एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था की जाए। सरकार को इसे पूरा करने के लिए जो कदम उठाने की जरूरत है, उसे उठाने चाहिए।
सोनिया के बाद इंडिया के नेताओं ने भी जोर-शोर से उठाया मुद्दा
कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण की बात की तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि,महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए। उन्होंने पीडीए फॉर्मूले का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं के आरक्षण का निश्चित प्रतिशत भी स्पष्ट होना चाहिए। अखिलेश ने भी खुले विरोध की जगह बीच का रास्ता निकाला और पीडीए की बात की। इधर, आरजेडी की ओर से महिला आरक्षण पर राबड़ी देवी ने मोर्चा संभाला। राबड़ी ने आरक्षण के भीतर आरक्षण को अनिवार्य बताते हुए कहा कि अन्य वर्गों की तीसरी और चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है। उन्होंने महिला आरक्षण में वंचित, उपेक्षित, खेतिहर और मेहनतकश वर्गों की महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने की मांग की और ये याद भी दिलाया कि महिलाओं की भी जाति है। जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने महिला आरक्षण बिल पेश होने से पहले इसके समर्थन का ऐलान तो किया था लेकिन ये भी जोड़ा था कि महिला आरक्षण में दलित और कमजोर वर्ग की महिलाओं को भी कोटा मिले।
कांग्रेस की राजनीति को क़रीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं कि, भाजपा ने जिस तरह जातीय अस्मिता से ऊपर उठकर हिंदुत्व के नाम पर एक अलग वोट बैंक खड़ा कर लिया। इससे विपक्षी पार्टियों को यह डर है कि कहीं सत्ताधारी दल मजबूत महिला वोट बैंक खड़ा करने में सफल न हो जाए। इसलिए कांग्रेस और विपक्षी दलों ने जातिगत जनगणना कराकर इसमें एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था की मांग की है। जातीय जनगणना की मांग पर एकमत इन पार्टियों के लिए महिला आरक्षण में ओबीसी का जिक्र नहीं होने पर इस बिल का विरोध करने का रास्ता तैयार हो गया।
किदवई कहते है कि, सोनिया गांधी बहुत ही सधी हुई राजनीति करती आई हैं। एक तरफ वो लालू-नीतिश और अखिलेश यादव की राजनीति को मजबूती प्रदान कर रही है। वहीं दूसरी तरफ वो एनडीए में राजनीतिक समस्या खड़ी करने के प्रयास कर रही है। क्योंकि भाजपा और एनडीए में ओबीसी और पिछड़ा ग्रुप बहुत ही मजबूत है। कई बड़े नेता इस वर्ग से आते हैं। इसलिए सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस ने यह मुद्दा उठाया है। इससे कांग्रेस ने साफ इशारा किया है कि हम तो बिल में ओबीसी आरक्षण भी चाहते थे। हम सरकार का समर्थन भी कर रहे थे लेकिन सरकार ने आखिरी वक्त पर गोल पोस्ट ही बदल दिया।
सोनिया को याद आए राजीव गांधी
सोनिया गांधी ने लोकसभा में कहा कि, कांग्रेस महिला आरक्षण बिल का समर्थन करती है। मैं इस बिल के समर्थन में खड़ी हुई हूं। यह मेरी जिंदगी का मार्मिक समय है। पहली बार निकाय चुनाव में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने वाला बिल मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी ही लाए थे। आज उसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों के जरिए हमारे पास 15 लाख चुनी हुईं महिला नेता हैं। राजीव गांधी का सपना अभी आधा ही पूरा हुआ है, इस बिल के पास होने के साथ ही वह पूरा होगा।
उन्होंने कहा कि धुएं से भरी हुई रसोई से लेकर रोशनी से जगमगाते स्टेडियम तक भारत की स्त्री का सफर बहुत लंबा है लेकिन आखिरकार उसने मंजिल को छू लिया है। उसने जन्म दिया। उसने परिवार चलाया। उसने पुरुषों के बीच तेज दौड़ लगाई। भारत की स्त्री के हृदय में महासागर जैसा धीरज है। उसने खुद के साथ हुई बेईमानी की शिकायत नहीं की और सिर्फ अपने फायदे के बारे में कभी नहीं सोचा। उसने नदियों की तरह सबकी भलाई के लिए काम किया है और मुश्किल वक्त में हिमालय की तरह अडिग रही। स्त्री के धैर्य का अंदाजा लगाना नामुमकिन है। वह आराम को नहीं पहचानती और थक जाना भी नहीं जानती।
सोनिया ने कहा कि सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसिफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृत कौर और उनके साथ लाखों महिलाओं से लेकर आज की तारीख तक स्त्री ने कठिन समय में हर बार महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहब आंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनों को जमीन पर उतारकर दिखाया है। इंदिरा गांधी जी का व्यक्तित्व इसकी बहुत ही रोशन और जिंदा मिसाल है।