सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों को देखें तो पाएंगे कि केंद्र सरकार ने न्यायिक दखल रोकने की मंशा से यह प्रावधान किया है।
ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश हो चुका है। दोनों सदनों में सत्ता पक्ष की ताकत और विपक्ष के साथ को देखते हुए इसका पारित होना महज औपचारिकता है। लेकिन विपक्ष ने यह कहते हुए सवाल खड़े किए हैं कि आखिर सरकार ने इस विधेयक में परिसीमन और जनगणना की शर्त क्यों जोड़ी? अगर ये दोनों शर्तें नहीं होतीं तो 2024 के लोकसभा चुनाव से ही महिलाओं को आरक्षण का लाभ मिल सकता था। अब 2029 के लोकसभा चुनाव से ही इसके लागू होने की उम्मीद है।
क्या सच में यह चुनावी जुमला है
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों को देखें तो पाएंगे कि दरअसल केंद्र सरकार ने न्यायिक दखल रोकने की मंशा से यह प्रावधान किया है। 2022 और इस साल भी जिन राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव हुए हैं, वहां ओबीसी आरक्षण लागू होने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी के जरिये संबंधित जाति के सर्वे को अनिवार्य कर दिया था। जिन राज्यों ने ऐसा नहीं किया वहां के चुनाव रद्द कर दिए और दोबारा से सर्वेक्षण कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण तय होने के बाद ही चुनाव की अनुमति दी गई। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों ने इस स्थिति का सामना किया। ऐसे में मोदी सरकार यदि लोकसभा और विधानसभा सीटों पर इतनी बड़ी संख्या में आरक्षण बिना परिसीमन के दे देती तो निश्चित रूप से इसे कोर्ट में चुनौती मिलती और कोर्ट के पुराने रुख को देखते हुए इसका लागू होना मुश्किल था।
महिलाओं को आरक्षण सीटों के परिसीमन के बाद प्रभावी होगा। यह परिसीमन कानून अधिसूचित होने के बाद होने वाली पहली जनगणना के आंकड़ों के प्रकाशन के बाद किया जाएगा। आरक्षण 15 सालों के लिए होगा और इसके बाद संसद की इच्छा के अनुसार लागू रहेगा।
जनगणना 2024 के बाद ही होगी
देश में 2021 में जनगणना होनी थी लेकिन कोविड के कारण स्थगित कर दी गई। माना जा रहा है, 2024 के चुनाव के बाद ही जनगणना का कार्य शुरू होगा। पूरे देश में होने वाली इसकी प्रक्रिया लंबी चलती है। आंकड़ों के प्रकाशन में भी समय लगता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे में परिसीमन का कार्य 2026 के बाद ही हो पाएगा। इसके बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में इसे लागू किया जा सकता है।
परिसीमन के बाद क्या होगा
चुनाव आयोग तय करेगा कि कौन सी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ऐसा लॉटरी से या महिला मतदाताओं की संख्या के आधार पर हो सकता है। चूंकि हर सीट पर पुरुष और महिलाएं करीब-करीब बराबर ही होती हैं। इसलिए चयन लॉटरी से होने की उम्मीद ज्यादा है। परिसीमन के पहले जो सीट आरक्षित होंगी, वह बाद में अनारक्षित हो जाएंगी। आरक्षित सीटें हर बार बदलेंगी।