केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 27 साल से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को सोमवार को मंजूरी दे दी। इस बिल को बुधवार को नए संसद भवन में होने वाली लोकसभा की बैठक के दौरान पेश किया जा सकता है। इससे, संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिए जाने का रास्ता खुलने के साथ ही विशेष सत्र में सरकार के मुख्य एजेंडे की तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गई।
महिला आरक्षण बिल पर जिस तरह प्रतिक्रियाएं आईं हैं उससे आम राय से इसके पारित होने की उम्मीद जगी है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिलने की खबर का हम स्वागत करते हैं। हालांकि इस पर इतनी गोपनीयता बरतने के बदले संसद के विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में अच्छी चर्चा और आम राय बनाने की जरूरत थी।रमेश ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति ने हैदराबाद में अपनी बैठक में इसी सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने की मांग की थी। कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने खुद राज्यसभा में यह मांग उठाई है। खरगे ने कहा कि संसद के दोनों सदनों में महिला जनप्रतिनिधियों की संख्या सिर्फ 14 फीसदी है जबकि विधानसभा में यह संख्या महज 10 फीसदी है। ऐसे में विधायिका में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।
बीआरएस एमएलसी कविता ने किया फैसले का स्वागत
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एमएलसी के. कविता ने महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी देने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत किया है। कविता ने कहा, मैं उत्साहित हूं, मैं बहुत खुश हूं, लेकिन थोड़ी चिंतित भी हूं। क्योंकि विधेयक के प्रारूप क्या होगा, अभी हमें पता नहीं। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी कोई स्पष्टता नहीं है कि यह विधेयक कब पेश किया जाएगा। यह वही विधेयक है, जो 2008 में राज्यसभा में पारित हुआ था या एक पूरी तरह से अलग विधेयक पेश किया जाएगा।