चुनाव आयोग ने वीवीपीएटी रिकॉर्ड व ईवीएम डाटा के पूर्ण सत्यापन की मांग करने वाली याचिका का विरोध करते हुए कहा, यह अस्पष्ट और निराधार आधार पर ईवीएम और वीवीपैट की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करने का एक और प्रयास है।
चुनाव आयोग ने एक बार फिर से दोहराया है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है। उसने कहा है कि तकनीकी उपायों और आयोग की डिजाइन की गई सख्त प्रशासनिक और सुरक्षा प्रक्रियाओं के कारण ईवीएम फूलप्रूफ है। सुप्रीम कोर्ट में पिछले दिनों दाखिल हलफनामे में आयोग ने कहा, ईवीएम छेड़छाड़ योग्य नहीं है। सुरक्षा और तकनीकी उपाय ऐसे हैं कि इसके तहत किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को ईवीएम/वीवीपीएटी तक पहुंच नहीं है। यह किसी भी छेड़छाड़ या हेरफेर से सुरक्षित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार बार-बार क्यों उठाया जा रहा मामला
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने एडीआर के वकील प्रशांत भूषण को फटकार लगाते हुए कहा था कि बार-बार इस मामले को क्यों उठाया जा रहा है। निर्वाचन आयोग ने हलफनामे में स्पष्ट रूप से बताया है कि ईवीएम में किसी तरह के हेरफेर की गुंजाइश नहीं है। ऐसा पहले भी कई बार बताया जा चुका है लेकिन हर छह महीने में फिर से इस मुद्दे को उठाया जाता है। शीर्ष अदालत ने भूषण की ओर से मामले में तत्काल सुनवाई की मांग को दरकिनार कर दिया।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने मजाकिया लहजे में कहा कि अगर ईवीएम बोल सकती तो कहती कि मुझ पर जिसने तोहमत लगाई मैंने उसके घर की भी लाज रखी है। कुमार ने बैलेट पेपर पर वापस जाने को प्रतिगामी कदम बताते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया।