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सुप्रीम कोर्ट ने वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के माध्यम से मतदाताओं की ओर से डाले गए वोटों के क्रॉस-सत्यापन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई नवंबर तक स्थगित कर दी है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी ने बुधवार को कहा, मामले में तत्काल सुने जाने जैसा कुछ नहीं है। Trending Videos याचिकाकर्ता एनजीओ के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि इसे तत्काल सुना जाए, क्योंकि चुनाव आने वाले हैं। इस पर पीठ ने कहा, श्रीमान कितनी बार यह मुद्दा उठाया जाएगा? हर छह महीने में इस मुद्दे को नया बनाकर उठाया जाता है। इसलिए इसमें कोई जल्दबाजी की जरूरत नहीं है। हम इस मामले को नवंबर में सुनेंगे। शीर्ष अदालत ने 17 जुलाई को एनजीओ की याचिका पर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था। तत्काल याचिका में, एनजीओ ने चुनाव पैनल और केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की है कि मतदाता ईवीएम-वीवीपीएटी से यह सत्यापित कर सकें कि उनका वोट रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है। रक्त प्राप्तकर्ता को आश्वस्त करना जरूरी कि उसे चढ़ाया गया रक्त साफ है सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रक्त प्राप्तकर्ता को आश्वस्त किया जाना चाहिए कि उसे जो रक्त चढ़ाया जा रहा है वह साफ है। शीर्ष अदालत ट्रांसजेंडरों, पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों और महिला यौनकर्मियों को रक्त दाताओं से बाहर करने वाले 2017 के दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर नोटिस जारी नहीं कर रही है और इसे इस मुद्दे को उठाने वाली एक अन्य लंबित याचिका के साथ टैग कर दिया। और पढ़ें

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अदालत ने अस्पताल को भ्रूण का डीएनए संरक्षित रखने का भी निर्देश दिया, जैसा कि याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था। पीड़िता की मां ने हाईकोर्ट का रुख कर अपनी बेटी का गर्भपात कराने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। इससे दो दिन पहले, नर्मदा जिला पुलिस ने पीड़िता के पिता को गिरफ्तार किया था।

गुजरात हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय उस लड़की को करीब 27 सप्ताह का गर्भ गिराने की बुधवार को अनुमति दे दी, जिसके साथ उसके पिता ने कथित तौर पर दुष्कर्म किया था। जस्टिस समीर दवे ने वड़ोदरा स्थित सर सयाजीराव गायकवाड़ अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट पर गौर किया।  बता दें कि आरोप है कि बच्ची के पिता ने ही उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची की मां ने गर्भपात के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चिकित्सकों की एक समिति से पीड़िता की मेडिकल जांच कराने का चार सितंबर को निर्देश दिया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा, याचिका स्वीकार की जाती है। प्रतिवादी संख्या तीन को पीड़िता की गर्भावस्था आज से एक सप्ताह की अवधि के अंदर समाप्त करने का निर्देश दिया जाता है। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, भ्रूण करीब 27 सप्ताह का है।साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़िता को 2.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। साथ ही 50,000 रुपये तुरंत देने और शेष दो लाख रुपये उसके नाम पर बैंक में जमा करने का निर्देश दिया

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