जल्द ही पारंपरिक दवाओं पर भारत की मुहर होगी। इसके चलते प्राचीन औषधियों और उनसे बने उत्पादों पर भारत का एकाधिकार रहेगा।
जल्द ही पारंपरिक दवाओं पर भारत की मुहर होगी। इसके चलते प्राचीन औषधियों और उनसे बने उत्पादों पर भारत का एकाधिकार रहेगा। सूत्रों के मुताबिक, प्राकृतिक उत्पादों पर पेटेंट का दावा करने के लिए भारत एक नया और वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर सिस्टम तैयार करना चाहता है। इसके लिए केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन भी किया है जो जल्द ही पूरी समीक्षा के साथ अंतरिम रिपोर्ट सौंपने वाली है। इन्हीं सिफारिशों के आधार पर आगे की नीति तय की जाएगी। समिति की अध्यक्षता उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव कर रहे हैं।केंद्रीय आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्राकृतिक उत्पादों पर पेटेंट का दावा करना मुश्किल है। इस वजह से कई नवाचारों के बावजूद कई पेटेंट का दावा नहीं कर पाए हैं, जबकि भारत में अभी वैकल्पिक चिकित्सा उद्योग में 900 से अधिक स्टार्टअप काम कर रहे हैं। इनमें से एक यूनिकॉर्न कंपनी है, जिसका कारोबार आठ हजार करोड़ रुपये से भी अधिक है। इन्हीं क्षमताओं के साथ भारत ने 2014 से लेकर अब तक आठ गुना से ज्यादा वृद्धि की है। 2014 में यह करीब 24 हजार करोड़ रुपये था जो 2020 तक 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंचा। फिलहाल 2023 में यह 1.50 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर सकता है। इन सब के बाद भी जब बात पेटेंट पर आती है तो यह कई सालों से हमारे लिए चुनौती बनी हुई है, जिसका समय पर समाधान बहुत जरूरी है।