एनएमसी के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा विनियमन-2000 के बिंदु 13 के तहत सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्रों को समान वजीफा लेने का अधिकार प्राप्त है।
देश के निजी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों के मेहनताना को लेकर चल रही मनमानी पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने हैरानी जताई है। सख्त नियमों के बाद भी अधिकतर निजी कॉलेज छात्रों को वजीफा नहीं दे रहे हैं। कई कॉलेज बैंक खाते में राशि जमा कराते हैं और उसके कुछ दिन बाद जबरन डॉक्टरों से कैश में पूरा वापस ले लेते हैं।आयोग का कहना है कि शिकायत के बाद जब इसकी जांच के लिए छात्रों ने अपनी आपबीती सुनाई तो हैरान कर दिया। एनएमसी उप सचिव औजेंद्र सिंह ने सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि महीने भर में डॉक्टरों को वजीफा नहीं दिया तो कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। एनएमसी के अनुसार, पीजी छात्रों की शिकायत पर देश के 21 राज्यों के 231 निजी मेडिकल कॉलेजों में सर्वे कराया गया। इस दौरान 10,178 छात्रों से बातचीत में पता चला कि 7,626 छात्रों के साथ धोखाधड़ी हो रही है। 2,110 छात्रों को वजीफा नहीं दिया जा रहा है। 4,288 छात्रों ने कम वजीफा देने की बात कही तो 1,228 छात्रों ने कहा, वजीफे का भुगतान तो होता है लेकिन कुछ दिन बाद कॉलेज को वापस भी करना पड़ता है।
क्या कहता है नियम
एनएमसी के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा विनियमन-2000 के बिंदु 13 के तहत सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्रों को समान वजीफा लेने का अधिकार प्राप्त है। यह हैरानी की बात है कि निजी कॉलेजों की लंबे समय से यह धांधली चल रही है लेकिन अब तक इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एनएमसी ने सभी मेडिकल कॉलेजों को लेकर भी जांच शुरू कर दी है। इसमें एमबीबीएस और पीजी चिकित्सा छात्रों से कॉलेज के बारे में जानकारी ली जा रही है।