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इमरान को नहीं मिली राहत, पाकिस्तानी अदालत में दोषसिद्धि के खिलाफ याचिका पर सुनवाई फिर स्थगित

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उच्च न्यायालय 22 अगस्त से इमरान की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इससे पहले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की पीठ ने गुरुवार को एक दिन के लिए सुनवाई स्थगित कर दी थी। तब समझा जा रहा था कि अदालत शुक्रवार को फैसला सुना सकता है।

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने शुक्रवार को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में एक सत्र अदालत द्वारा सुनाई गई सजा और अपनी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की याचिका पर सुनवाई 28 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। इमरान खान फिलहाल जेल में बंद हैं।

उच्च न्यायालय 22 अगस्त से इमरान की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इससे पहले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की पीठ ने गुरुवार को एक दिन के लिए सुनवाई स्थगित कर दी थी। तब समझा जा रहा था कि अदालत शुक्रवार को फैसला सुना सकता है। वर्तमान में 70 वर्षीय खान अटक जेल में हैं, जहां उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद से रखा गया है। पूर्व प्रधानमंत्री को पांच वर्ष तक कोई सरकारी पद संभालने के लिए भी अयोग्य करार दिया गया है।

पांच अगस्त को इस्लामाबाद स्थित सत्र अदालत के न्यायाधीश हुमायूं दिलावर ने पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) द्वारा दायर मामले में 70 वर्षीय खान को दोषी ठहराया और तीन साल जेल की सजा सुनाई थी। ईएचसी के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की खंडपीठ ने शुक्रवार की सुनवाई की अध्यक्षता की। सुनवाई के दौरान, ईसीपी के वकील एडवोकेट अमजद परवेज से अपनी दलीलें खत्म करने की उम्मीद थी। हालांकि, वह “बेहद अस्वस्थ” होने के कारण उपस्थित होने में विफल रहे, जैसा कि उनकी टीम के एक सदस्य ने कहा, जिसके बाद आईएचसी ने सुनवाई 28 अगस्त (सोमवार) तक के लिए स्थगित कर दी।

बचाव दल ने पहले ही बहस पूरी कर ली है। सुनवाई के दौरान, खान के वकील लतीफ खोसा ने दोषसिद्धि के खिलाफ अपनी दलील पेश की और कहा कि फैसला जल्दबाजी में दिया गया था और इसमें खामियां हैं। उन्होंने अदालत से सजा को रद्द करने का आग्रह किया लेकिन बचाव दल ने अपनी दलीलें पूरी करने के लिए और समय की मांग की।

सुप्रीम कोर्ट ने भी गुरुवार को आईएचसी के फैसले तक खान की याचिका पर कार्यवाही रोकने का फैसला किया। शीर्ष अदालत ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया क्योंकि उसने पाकिस्तान के अटॉर्नी-जनरल (एजीपी) मंसूर उस्मान अवान को 28 अगस्त तक खान की रहने की स्थिति के बारे में एक आधिकारिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।

तोशखाना मामला 2022 में ईसीपी में सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों द्वारा दायर किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि खान ने देश के उपहारों की बिक्री से प्राप्त आय को छुपाया था। ईसीपी ने पहले उन्हें अयोग्य ठहराया और फिर एक सत्र अदालत में आपराधिक कार्यवाही का मामला दायर किया, जिसने उन्हें दोषी ठहराया और बाद में खान को जेल भेज दिया गया।

कई रिपोर्ट के अनुसार, खान को अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल के दौरान विश्वभर के कई नेताओं से 14.0 करोड़ रुपये से अधिक के 58 उपहार मिले थे और उन सभी को उन्होंने ना के बराबर राशि का भुगतान करके या बिना किसी भुगतान के अपने पास रखा। इस मामले में इमरान पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2018 से 2022 तक प्रधानमंत्री पद पर रहने के दौरान तोशाखाना से हासिल किए गए उपहारों और उनकी बिक्री से हुई आय के ब्योरे को ‘जानबूझकर छिपाया’। तोशाखाना एक सरकारी भंडारण विभाग है जिसमें पाकिस्तानी अधिकारियों को विदेशी सरकारों से मिले उपहारों को रखा जाता है।

गोपनीय दस्तावेज मामले में पूर्व पाक विदेश मंत्री कुरेशी की रिमांड तीन दिन बढ़ी

पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने गोपनीय राजनयिक दस्तावेज (सिफर) के लीक होने के मामले में पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की रिमांड शुक्रवार को तीन दिन के लिए बढ़ा दी। कथित तौर पर पिछली इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा राजनीतिक उद्देश्यों के लिए सिफर (गोपनीय दस्तावेज) का दुरुपयोग किया गया था।

जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री खान के करीबी सहयोगी और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के उपाध्यक्ष 67 वर्षीय कुरैशी जब विदेश मंत्री थे तब अमेरिका में पाकिस्तानी दूतावास द्वारा विदेश कार्यालय को भेजे गए आधिकारिक दस्तावेज की गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए उन्हें 19 अगस्त को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें विशेष अदालत ने 25 अगस्त तक चार दिनों के लिए संघीय जांच एजेंसी की हिरासत में भेज दिया था।

खान लंबे समय से लापता दस्तावेज का उल्लेख पिछले साल अप्रैल में उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए “विदेशी साजिश” के सबूत के रूप में करते रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जज अबुअल हसनत ने शुक्रवार को विशेष अदालत में मामले की बंद कमरे में सुनवाई की। इस अदालत को हाल ही में सांसदों के भारी विरोध के बीच इस महीने की शुरुआत में संसद द्वारा अनुमोदित आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था।

20 अगस्त को संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद कुरेशी को फ्रंटियर कोर और इस्लामाबाद पुलिस कर्मियों द्वारा भारी सुरक्षा में न्यायिक परिसर में पेश किया गया था। उनका प्रतिनिधित्व उनके वकील शोएब शाहीन ने किया, जिन्होंने एफआईए द्वारा कुरेशी की शारीरिक रिमांड का विरोध किया।

मामले के विशेष अभियोजक जुल्फिकार नकवी ने पीटीआई नेता की नौ दिन की रिमांड की मांग की थी। हालांकि, न्यायाधीश ने कुरैशी को तीन दिन के लिए एफआईए की हिरासत में भेज दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत सिफर मामले में पीटीआई अध्यक्ष इमरान खान और उनके डिप्टी कुरेशी का मुकदमा एक पखवाड़े के भीतर शुरू होने की उम्मीद है।

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