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WHO जल्द करेगा भारत के पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक युग की शुरुआत, बोले केंद्रीय आयुष मंत्री

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नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में 2014 से अब तक आयुष चिकित्सा को लेकर न सिर्फ देश बल्कि विश्व स्तर पर भारत ने काफी सफलता हासिल की हैं।

पारंपरिक चिकित्सा पर हुए पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन को लेकर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा है कि सम्मेलन का मुख्य परिणाम ‘गुजरात घोषणा’ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) जल्द जारी करेगा। आयुष मंत्री ने कहा कि गुजरात घोषणा में नवाचार से लेकर डाटा संरक्षण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता तक शामिल हैं, जिसे जल्द ही विश्व स्तर पर डब्ल्यूएचओ जारी करेगा।

सोमवार को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में 2014 से अब तक आयुष चिकित्सा को लेकर न सिर्फ देश बल्कि विश्व स्तर पर भारत ने काफी सफलता हासिल की हैं। गुजरात में हुए शिखर सम्मेलन के दौरान पांच देश नेपाल, क्यूबा, मलेशिया, वेनेजुएला और कतर के साथ बातचीत हुई है। इन देशों से आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी सहित आयुष चिकित्सा के वैज्ञानिक प्रभावों को साझा किया है। साथ ही कहा है कि यह देश अपने मरीजों को आयुष चिकित्सा का लाभ लेने के लिए भारत भेज सकते हैं।

डॉक्टरों के खिलाफ नियमों पर फिर से विचार करेगा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग
डॉक्टरों के विरोध के बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने दो सप्ताह पहले जारी अधिनियम पर फिर से विचार करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान आईएमए ने कहा कि एनएमसी ने देश में पंजीकृत डॉक्टरों के लिए जो अधिनियम जारी किए हैं वे जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो सकते हैं। डॉक्टरों से किसी भी सम्मेलन या कान्फ्रेंस में भाग नहीं लेने के लिए कहा गया है, जबकि दूसरी ओर सरकार चिकित्सा उपकरणों को बढ़ावा देना चाहती है। जब भी नई तकनीक या उपकरण आता है तो उसे अस्पताल में किस तरह उपयोग में लाया जाएगा, इसका प्रशिक्षण दिए बगैर कैसे एक डॉक्टर मरीज के उपचार में उसका प्रयोग कर सकता है। इसी तरह जेनेरिक दवाओं को लेकर भी स्थिति है।

दवा कंपनियों के शब्दों पर भरोसा करने का ही विकल्प
आईएमए का कहना है कि भारतीय नियामकों को बायो इक्विवेलेंस अध्ययन कराने की आवश्यकता नहीं है। बी4 कंपनियों को दवा बेचने का लाइसेंस मिलता है। इसलिए हमारे पास यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि भारत में जिस दवा का विपणन किया जा रहा है, वह वही है या नहीं। पेटेंट दवा की तुलना में उसकी मात्रा, गुणवत्ता और अशुद्धियां क्या हैं? इसके बारे में जानकारी नहीं है। हमें केवल भारतीय फार्मा कंपनी के शब्दों पर भरोसा करना होगा कि वे जो जेनेरिक दवा बेच रहे हैं वह मूल पेटेंट दवा जितनी ही अच्छी है। हालांकि, यह भी सच है कि भारतीय बाजार में लगभग सभी दवाएं बिकती हैं और इनमें नकली दवाओं से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।

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