केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, हाल ही में भारत और एडीबी के बीच 2023-2027 तक के लिए जलवायु परिवर्तन को लेकर समझौता हुआ है, जिसका मुख्यालय भारत में ही होगा। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट है, जो हर किसी को प्रभावित करता है, लेकिन इसके परिणाम विशेष रूप से गरीब और कमजोर आबादी के लिए विनाशकारी हैं।
पारंपरिक चिकित्सा के बाद अब जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पहल (सीएचआई) का मुख्यालय भारत में बनेगा, जिसकी घोषणा जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के सहयोग से सरकार जी-20 देशों के लिए इसे तैयार करेगी जो सभी देशों के लिए जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर नीतियां, अनुसंधान और स्वास्थ्य पहल तैयार करेगा। गुजरात के गांधीनगर में आयोजित जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में भारत की इस पहल का सभी देशों ने स्वागत करते हुए लिखित समर्थन दिया है। हालांकि, दक्षिण एशिया से चीन ने इस पर सहमति नहीं दी है, लेकिन अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य को लेकर भारत के नेतृत्व में कार्य करने की सहमति दी है।
छोटे देशों के लिए संजीवनी बनेगा भारत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, हाल ही में भारत और एडीबी के बीच 2023-2027 तक के लिए जलवायु परिवर्तन को लेकर समझौता हुआ है, जिसका मुख्यालय भारत में ही होगा। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट है, जो हर किसी को प्रभावित करता है, लेकिन इसके परिणाम विशेष रूप से गरीब और कमजोर आबादी के लिए विनाशकारी हैं। वैश्विक दक्षिण क्षेत्र के कम आय वाले देशों के लिए भारत एक संजीवनी बनेगा और जलवायु परिवर्तन से बचाव में सहयोग करेगा।
छोटे देशों के लिए संजीवनी बनेगा भारत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, हाल ही में भारत और एडीबी के बीच 2023-2027 तक के लिए जलवायु परिवर्तन को लेकर समझौता हुआ है, जिसका मुख्यालय भारत में ही होगा। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक संकट है, जो हर किसी को प्रभावित करता है, लेकिन इसके परिणाम विशेष रूप से गरीब और कमजोर आबादी के लिए विनाशकारी हैं। वैश्विक दक्षिण क्षेत्र के कम आय वाले देशों के लिए भारत एक संजीवनी बनेगा और जलवायु परिवर्तन से बचाव में सहयोग करेगा।
70 फीसदी संक्रामक बीमारियों की वजह
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव काफी गहरा है। हम देख रहे हैं कि 70 फीसदी संक्रामक बीमारियां जलवायु परिवर्तन की वजह से सक्रिय हुई हैं, जिन्हें जूनोटिक डिजीज कहा जाता है। चक्रवात, बाढ़ और सूखे जैसी चरम मौसमी घटनाएं लोगों के लिए घातक हो रही हैं। वर्षा के परिवर्तनशील पैटर्न से पानी की कमी हो सकती है। ऐसे में सरकार भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर जनमानस के सहयोग के लिए यह पहल शुरू कर रही है।