इसरो सूत्रों के मुताबिक, अलग होने के बाद लैंडर को डीबूस्ट (धीमा करने की प्रक्रिया) किया जाएगा, ताकि उसे एक कक्षा में स्थापित किया जा सके जहां से पेरिल्यून (चंद्रमा से निकटतम बिंदु) 30 किमी और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किमी दूर है।
चंद्रयान-3 की बुधवार को चौथी बार कक्षा बदली गई और वह चंद्रमा की कक्षा में पांचवें और अंतिम चरण में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया। यह चंद्रमा की सतह के और भी करीब आ गया। इसके साथ अंतरिक्षयान ने चंद्रमा से जुड़े अपने सभी युद्धाभ्यास पूरे कर लिए हैं।इसरो ने ट्वीट किया, आज की सफल फायरिंग (जो थोड़े समय के लिए आवश्यक थी) ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा की 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया। इसके साथ चांद की ओर बढ़ने के सभी प्रवेश चरण पूरे हुए। अब प्रोपल्शन और लैंडर मॉड्यूल (जिसमें लैंडर और रोवर शामिल हैं) के अलग होने की तैयारी है। बृहस्पतिवार को लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग होंगे।
इस तरह पहुंचा चांद के पास
14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से रवाना होने के बाद चंद्रयान-3 ने तीन हफ्तों में कई चरणों को पार किया। पांच अगस्त को पहली बार चांद की कक्षा में दाखिल हुआ था। इसके बाद 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रयान-3 ने अलग-अलग चरण में प्रवेश किया। इसरो ने इन तीन हफ्तों में चंद्रयान-3 को पृथ्वी से बहुत दूर स्थित कक्षाओं में स्थापित किया।