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इतिहास के पन्नों में 19 जूनः म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू ची हो गईं 77 साल की

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लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की स्थापना की दृष्टि से इतिहास में 19 जून का अहम स्थान है । म्यांमार में लोकतंत्र की स्थापना के लिए कई बरस तक संघर्ष करने वालीं और समूची दुनिया में लोकतंत्र का प्रतीक बनकर उभरीं अपदस्थ नेता आंग सान सू ची का जन्म 19 जून, 1945 को ही हुआ था। म्यांमार की लौह महिला सू ची देश के राष्ट्रपिता आंग सान की पुत्री हैं। उनकी 1947 में राजनीतिक कारणों से हत्या कर दी गई थी। सू ची ने बर्मा में लोकतंत्र की स्थापना के लिए लंबा संघर्ष किया। उन्हें 1990 में राफ्तो पुरस्कार, विचारों की स्वतंत्रता के लिए सखारोव पुरस्कार, 1991 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1992 में भारत सरकार ने जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार प्रदान किया।

साल 2020 में म्यांमार में हुए आम चुनाव में सू ची की पार्टी को एकतरफा जीत मिली। इसी के साथ देश में दशकों के सैन्य शासन का अंत हुआ और राजनीतिक सुधारों की एक उम्मीद दिखी। मगर यह दौर लंबा नहीं चल सका। 01 फरवरी, 2021 को सेना ने सू ची की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया। सू ची की पार्टी ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी’ के कई वरिष्ठ सदस्य भी गिरफ्तार कर लिए गए। इसके बाद से देशभर में प्रदर्शनों और राजनीतिक उथल-पुथल का दौर जारी है। अंतरराष्ट्रीय खेमे में भी भारी चिंता है। सेना के शासन वाले म्यांमार में एक अदालत अपदस्थ नेता आंग सान सू ची को चार साल जेल की सजा सुना चुकी है। नोबेल विजेता सू ची पर म्यांमार में भ्रष्टाचार समेत दर्जनों मामलों में जांच चल रही है। इनके तहत उन्हें 100 साल से ज्यादा की सजा भी हो सकती है। सू ची पर जितने भी आरोप और मुकदमे हैं, उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक सुर में फर्जी करार देते हुए आलोचना कर चुका है। म्यांमार में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी गृहयुद्ध तक की चेतावनी दे चुके हैं। तमाम अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद किसी को भी सू ची से मिलने नहीं दिया जाता। अदालत की पिछली सुनवाइयों में उन्हें सफेद टॉप और भूरी लुंगी पहने देखा गया। इसे म्यांमार में कैदी पहनते हैं।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1269: फ्रांस के राजा लुई ने यहूदियों को एक खास बैज पहनने का हुक्म दिया।

1716 : मुगलों के अजेय होने का भ्रम तोड़ने वाले प्रसिद्ध सिख सैनिक बंदा सिंह बहादुर को बादशाह फरूखसियर के आदेश पर यातना देकर मौत के घाट उतार दिया गया।

1843: ‘दास कैपिटल’ के लेखक और समाजशास्त्री काल मार्क्स ने विवाह किया।

1910: वाशिंगटन में पहला फादर्स डे मनाया गया।

1945: म्यांमार में लोकतंत्र की अलख जगाने वाली आंग सान सू ची का जन्म।

1948: सोवियत संघ ने पश्चिमी बर्लिन की ओर जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया।

1981: भारत ने अपने भू-स्थैतिक उपग्रह एपल का सफल प्रक्षेपण किया।

1991: सोवियत संघ ने हंगरी को अपने कब्जे से आजाद किया।

1968: मार्टिन लूथर किंग के नेतृत्व में आर्थिक न्याय के लिए 50,000 लोगों ने प्रदर्शन किया।

2005: फोर्ब्स पत्रिका ने ओफ्रा विनफ्रे को दुनिया की 100 ताकतवर हस्तियों की सूची में पहला स्थान दिया।

जन्म

1871ः राष्ट्रभाषा हिन्दी के उन्नायक, प्रखर चिंतक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माधवराव सप्रे।

1931ः उत्तराखंड और सिक्किम के पूर्व राज्यपाल सुदर्शन अग्रवाल।

1948ः मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकरम इबोबी सिंह।

1958ः अभिनेता मुकेश खन्ना।

1962ः अभिनेता आशीष विद्यार्थी।

1970ः कांग्रेस नेता राहुल गांधी।

दिवस

विश्व एथनिक दिवस

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