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‘वैचारिक विरोध अलग है, व्यक्तिगत नफरत नहीं होनी चाहिए’; दत्तात्रेय होसबाले ने किया दत्ताजी डिडोलकर को याद

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दत्ताजी को याद करते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि डिडोलकर ने सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे और अपनी विचारधारा से समझौता किए बिना दूसरों के विचारों का सम्मान किया। गौरतलब है कि डिडोलकर आरएसएस नेता और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के संस्थापक सदस्य थे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने लोगों से समाज में रहते हुए व्यक्तिगत नफरत से बचने की अपील की है। उन्होंने रविवार को कहा कि वैचारिक विरोध और असहमति अलग-अलग चीजें हैं। उन्होंने कहा कि जब हम समाज में रहते हैं तो हमें एक-दूसरे से दुश्मनी नहीं रखनी चाहिए, बल्कि मानवता और न्याय के सिद्धांतों के आधार पर सादा जीवन जीना चाहिए।

वे नागपुर में दत्ताजी डिडोलकर के जन्म शताब्दी समारोह के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। जिसमें उन्होंने यह बातें कहीं। दत्ताजी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि डिडोलकर ने सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे और अपनी विचारधारा से समझौता किए बिना दूसरों के विचारों का सम्मान किया। गौरतलब है कि डिडोलकर आरएसएस नेता और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के संस्थापक सदस्य थे।

अपने संबोधन में होसबाले ने कहा कि विचारधारा का विरोध किया जा सकता है। वैचारिक विरोध अलग बात है लेकिन समाज में व्यक्तिगत स्तर पर विरोध नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी के मजदूरों के अधिकारों के लिए काम करते समय कई कम्युनिस्ट नेताओं के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध थे। ये हमें संघ ने सिखाया है। वैचारिक विरोध एक अलग चीज है। असहमति हो सकती है। लेकिन, किसी ने भी हमें समाज में एक-दूसरे के प्रति नफरत के साथ रहना नहीं सिखाया है। दत्ताजी जैसे लोगों ने हमें यह विवेक और बड़ा दिल रखना सिखाया है।

इस कार्यक्रम में भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे। उन्होंने अपने संबोधन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दिनों को भी याद किया।

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