भारत ने भी पिछले महीने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित करने की योजना बदलते हुए इस आयोजन की मेजबानी वर्चुएल फॉर्मेट में की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महीने के अंत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने दक्षिण अफ्रीका नहीं जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये वर्चुअल रूप से सम्मेलन में शामिल हो सकते हैं।
सम्मेलन 22 से 24 अगस्त तक जोहानसबर्ग में होना है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी सम्मेलन में वर्चुअल रूप से शामिल होंगे। चीन और रूस सम्मेलन में ब्रिक्स के विस्तार पर चर्चा के इच्छुक हैं, जबकि भारत को इस विचार पर आपत्ति है। भारत ने भी पिछले महीने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित करने की योजना बदलते हुए इस आयोजन की मेजबानी वर्चुएल फॉर्मेट में की थी। हालांकि, इस बदलाव का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया था।
चीन पर भारत का कड़ा रुख
ब्रिक्स के जरिए दुनिया पर दबदबा बनाने की चीनी मंशा पर हाल ही में भारत ने कहा था कि ब्रिक्स में शामिल होने को लेकर कुछ नियम बनने चाहिए। ताकि औपचारिक विस्तार से पहले ऐसा कुछ ना हो। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इसके पीछे चीन की असल मंशा यह है कि ब्रिक्स का ऐसा विस्तार किया जाए कि वह अमेरिका और यूरोपीय संघ के मुकाबले मजबूत दिखाई दे। चीन की इच्छा है कि इसमें इंडोनेशिया और सऊदी अरब को भी शामिल कर लिया जाए। दुनियाभर में करीब एक दर्जन देश ऐसे हैं, जो इस संगठन का हिस्सा बनना चाहते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले महीने दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में ब्रिक्स की बैठक होने वाली है। इस बीच चीन ने दूसरे देशों को संगठन में शामिल करने की सिफारिशें की हैं।