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एनडीए सांसदों के साथ आज से पीएम मोदी की बैठक, लोकसभा चुनाव के मुद्दे पर होगी चर्चा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 जुलाई से भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों से मिलेंगे। 10 अगस्त तक चलने वाली इन बैठकों में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 जुलाई से भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों से मिलेंगे। 10 अगस्त तक चलने वाली इन बैठकों में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाएगा।

भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री के साथ बैठक के लिए एनडीए सांसदों के 10 समूह बनाए हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि पहली बैठक में प्रधानमंत्री पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और ब्रज क्षेत्र के सांसदों के साथ विचार-विमर्श करेंगे। प्रधानमंत्री के साथ इन सांसदों की बैठक सोमवार शाम छह बजे महाराष्ट्र सदन में होगी। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह भी बैठक में मौजूद रहेंगे।

गडकरी, अमित शाह और राजनाथ सिंह पर अहम जिम्मेदारी
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री की दूसरी बैठक पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के एनडीए सांसदों के साथ शाम सात बजे संसदीय सौंध भवन में होगी। इस बैठक में राजनाथ सिंह और अमित शाह मौजूद रहेंगे। सूत्रों ने यह भी बताया कि एनडीए के नेताओं के साथ समन्वय स्थापित करने की जिम्मेदारी भाजपा अध्यक्ष नड्डा के साथ ही केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी, अमित शाह और राजनाथ सिंह पर सौंपी गई है।

भाजपा के लिए यूपी सबसे अहम
भाजपा के लिए सबसे अधिक लोकसभा सीटों के कारण उत्तर प्रदेश की अहमियत सबसे ज्यादा है। मिशन 80 की तैयारियों में जुटी भाजपा यहां से सभी सीटों को जीतकर अपनी बढ़त बनाए रखना चाहती है। लेकिन सुभासपा, अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ आने से उसके लिए सबको सीटों में भागीदारी देना अनिवार्य होगा। कुछ नए क्षेत्रीय दल भी शीघ्र ही उसका हिस्सा बन सकते हैं। ऐसे में सीटों के तालमेल को लेकर पार्टी की परेशानी बढ़ सकती है। पिछले लोकसभा चुनाव में ही यह तनाव सतह पर आ गया था, जब अपना दल ने अधिक सीटों की दावेदारी कर भाजपा की समस्या बढ़ा दी थी।

पूर्वोत्तर में भी विवाद
पूर्वोत्तर में भाजपा ने अनेक छोटे-छोटे दलों को साथ लाकर अपने सहयोगी दलों की संख्या बड़ा दिखाने की कोशिश की है। लेकिन उसके इस कदम ने उसी को परेशानी में डाल दिया है। पूर्वोत्तर में कुल 26 सीटें हैं। इन सभी दलों को भागीदारी देने के लिए उन्हें कम से कम एक सीट भी दी जाए, तो भाजपा के अपने खाते में सीटों की संख्या बहुत कम हो जाएगी।

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