श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि इस ‘ऐतिहासिक’ यात्रा के दौरान विक्रमसिंघे और मैक्रों के बीच दोस्ताना और सार्थक द्विपक्षीय वार्ता हुई जो एक घंटे 15 मिनट तक चली।” बयान के अनुसार, यात्रा का मुख्य उद्देश्य श्रीलंका और फ्रांस के बीच राजनयिक संबंधों की 75 वीं वर्षगांठ के मौके पर मौजूदा संबंधों को बढ़ाना और नए स्तर पर ले जाना था।
फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने अपनी ऐतिहासिक यात्रा पर श्रीलंका पहुंचे। इस दौरान मैक्रों ने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की अध्यक्षता वाले श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल के साथ द्विपक्षीय सहयोग और खुले व समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर चर्चा की। यह किसी फ्रांसीसी राष्ट्रपति की श्रीलंका की पहली यात्रा है।
बयान में कहा गया है कि श्रीलंका के चौथे सबसे बड़े लेनदार के रूप में फ्रांस ने ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में अपनी सहायता का वादा किया, जिसका उद्देश्य देश के लिए सकारात्मक परिणाम लाना है। मैक्रों दक्षिण प्रशांत क्षेत्र की अपनी यात्रा के बाद 28 जुलाई की रात श्रीलंका पहुंचे थे। श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने शनिवार को ट्वीट किया, ”फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों का श्रीलंका की ऐतिहासिक यात्रा पर स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। हमारे प्रतिनिधिमंडलों के बीच द्विपक्षीय बैठक के दौरान हमने फ्रांस-श्रीलंका सहयोग के व्यापक क्षेत्रों पर चर्चा की और अपने संबंधों को और मजबूत करने पर सहमत हुए।
मैक्रों ने कहा कि श्रीलंका और फ्रांस खुले, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के एक ही लक्ष्य को साझा करते हैं। मैक्रों ने बैठक के बाद ट्विटर पर पोस्ट किया, ”श्रीलंका और फ्रांस हिंद महासागर के दो देश हैं जो एक ही लक्ष्य साझा करते हैं जो है एक खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत। कोलंबो में हमने इसकी पुष्टि की। 75 वर्षों के राजनयिक संबंधों से मजबूत कर हम अपनी साझेदारी के एक नए युग की शुरुआत कर सकते हैं।”