विकासशील जी-20 देशों ने 2040 तक कार्बन शून्य उत्सर्जन हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। हालांकि, मुद्दों पर विकसित और विकासशील देशों के बीच स्पष्ट विभाजन था।
पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि चेन्नई में संपन्न हुई जी-20 जलवायु मंत्रियों की बैठक में भाग लेने वाले देश 68 में से 64 मुद्दों पर सहमत हुए। हालांकि, ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए जीवाश्म ईंधन के अंधाधुंध इस्तेमाल को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और विकासशील देशों के लिए कम लागत वाले वित्तपोषण प्रदान करने जैसे मुद्दों पर राष्ट्रों के बीच सहमति की कमी रही।
यह बैठक दुनिया की 85 फीसदी जीडीपी और 80 फीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार देशों के 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना बढ़ाकर 11,000 गीगावाट करने पर आम सहमति तक पहुंचने में विफल रहने के बाद हुई है। पिछले सप्ताह गोवा में आयोजित ऊर्जा मंत्रियों की बैठक के दौरान जीवाश्म ईंधन के अंधाधुंध इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए वित्तपोषण प्रदान करने की योजना बनाई गई थी।
विकसित और विकासशील देशों के बीच बनी रही विभाजन की स्थिति
बैठक के निष्कर्ष के रूप में बताया गया कि जी-20 मंत्रियों के समूह ने नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार में तेजी लाने, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने, जीवाश्म ईंधन के अंधाधुंध इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने, ऊर्जा दक्षता में सुधार की वैश्विक दर को दोगुना करने, शून्य कार्बन उत्सर्जन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने, कार्बन उत्सर्जन में कमी करने और विकासशील देशों के लिए कम लागत वाले वित्तपोषण पहुंच बढ़ाने के मुद्दों पर चर्चा की। विकासशील जी-20 देशों ने 2040 तक कार्बन शून्य उत्सर्जन हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। हालांकि, मुद्दों पर विकसित और विकासशील देशों के बीच स्पष्ट विभाजन था।