नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोध में दावा किया गया है कि अगर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन मौजूदा स्तर पर ही बना रहा, तो आधी सदी बाद उत्तरी अटलांटिक महासागरीय धाराएं रुक जाएंगी। इन धाराओं के रुकने का पृथ्वी के मौसम चक्र पर भयावह असर होगा।
2057 तक दुनिया ऐसी स्थिति में पहुंच सकती है, जहां मौसम चक्र पूरी तरह बदल जाएगा। संभव है कि तब पूरा यूरोप और धरती के ज्यादातर उत्तरी हिस्से स्थायी रूप से ठंडे हो जाएं और भूमध्यसागरीय व उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मी और ज्यादा बढ़ जाएगी। नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोध में दावा किया गया है कि अगर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन मौजूदा स्तर पर ही बना रहा, तो आधी सदी बाद उत्तरी अटलांटिक महासागरीय धाराएं रुक जाएंगी। इन धाराओं के रुकने का पृथ्वी के मौसम चक्र पर भयावह असर होगा। खासतौर पर बारिश और गर्मी से पूरी दुनिया परेशान होगी। अटलांटिक मेरिडोनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (एएमओसी) कही जाने वाले इन धाराओं का पिछले 150 वर्ष के आंकड़ों के आधार पर अध्ययन किया गया।मुख्य शोधकर्ता पीटर डाइटलेवसन कहते हैं, अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम नहीं हुआ, तो इस तरह की स्थिति बनने से रोकना संभव नहीं होगा। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि इस तरह की स्थिति के प्रारंभिक संकेत अभी से देखने को मिलने लगे हैं। शोधकर्ताओं ने 1870 से लेकर आज तक उत्तरी अटलांटिक के एक विशिष्ट क्षेत्र में समुद्र की सतह के तापमान का विश्लेषण किया। ये एएमओसी की ताकत की गवाही देते हैं।