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निकाय चुनाव में महिलाओं को आरक्षण न देने से सुप्रीम कोर्ट खफा, केंद्र और नगालैंड सरकार को लगाई फटकार

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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि केंद्र सिर्फ यह कहकर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती कि यह आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होता। नगालैंड की महिलाएं जीवन के हर पहलू में सक्रीय रूप से भाग लेती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने नगालैंड सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने फटकारते हुए कहा कि केंद्र सरकार संविधान को लागू करने के लिए तैयार नहीं है। दरअसल, सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य नगालैंड में नगरीय निकाय चुनावों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की संवैधानिक योजना को लागू नहीं किया, जिस वजह से कोर्ट ने दोनों सरकारों को फटकार लगाई।

केंद्र सरकार को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि केंद्र सिर्फ यह कहकर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती कि यह आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होता। नगालैंड की महिलाएं जीवन के हर पहलू में सक्रीय रूप से भाग लेती हैं। कोर्ट ने कहा कि आप क्या कर रहे हैं। वहां भी आपकी सरकार है। आप यहां यह नहीं कह सकते कि राज्य में कोई और है। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान को लागू करने में केंद्र सरकार इच्छुक नहीं है। आप छोटे से आदेश पर सरकारों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं लेकिन जहां संवैधानिक प्रावधान का पालन नहीं किया जा रहा, वहां आप कुछ क्यों नहीं कहते।

राज्य से पूछा सवाल
नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के साथ भाजपा का गठबंधन है। नगालैंड के महाधिवक्ता केएन बालगोपाल ने कहा कि राज्य सरकार अदालत को संतुष्ट करने के लिए एक नया कानून लाने की इच्छुक है। उन्होंने जब कोर्ट से राज्य सरकार से निर्देश लेने के लिए समय मांगा तो कोर्ट ने कहा कि उसने राज्य सरकार को कई मौके दिए लेकिन उसने कुछ नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि आप उन राज्य सरकारों के खिलाफ सख्ती करेंगे, जो आपके प्रति उत्तरदायी नहीं है। लेकिन आपका अपना राज्य संवैधानिक योजना का उल्लंघन कर रही है और आप कुछ नहीं करना चाहते। आप इससे हाथ नहीं धो सकते।

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