प्रजनन विकारों की समस्या मौजूदा समय में काफी आम है, भारत सहित दुनिया के तमाम देशों के लोग इससे प्रभावित देखे जा रहे हैं। ऐसे कपल्स के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) बड़ी उम्मीद बनकर उभरी है। आईवीएफ, नि:संतानता की समस्या को दूर करने में काफी असरदार पाया गया है। चूंकि यह तकनीकी काफी नई है, यही कारण है कि इसको लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल रहते हैं।आईवीएफ को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 25 जुलाई को वर्ल्ड आईवीएफ डे मनाया जाता है। इसी दिन पहली बार आईवीएफ के माध्यम से बच्ची का जन्म हुआ था।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इस पद्धति के संबंध में जनता में बहुत सारी अटकलें और अफवाहें फैल गई हैं। गलत जानकारियां लोगों को भ्रमित कर सकती हैं। आइए आईवीएफ डे पर इससे संबंधित कुछ मिथ्य और फैक्ट्स के बारे में जानते हैं।
मिथ- आईवीएफ केवल निःसंतान दम्पत्तियों के लिए है।
वैसे तो यह सच है कि आईवीएफ का उपयोग अक्सर ऐसी महिला की मदद के लिए किया जाता है जो किन्हीं कारणों से गर्भधारण नहीं कर सकती है। हालांकि यह पूरी तरह से सच नहीं है कि सिर्फ निःसंतान दम्पत्तियों के लिए ही आईवीएफ है।यदि आप या आपके साथी में कोई आनुवंशिक विकार है जो आपके बच्चे के स्वास्थ्य और दीर्घायु को प्रभावित कर सकता है तो आप आईवीएफ चुन सकते हैं।
मिथ-किसी भी उम्र में आईवीएफ कर सकते हैं
अगर आपको लगता है कि किसी भी उम्र में आईवीएफ की मदद लेकर आप गर्भधारण कर सकती हैं, तो यहां आप गलत हैं। असल में जैसे-जैसे किसी महिला की उम्र बढ़ती है, उसकी प्रजनन प्रणाली भी प्रभावित होती है। इस स्थिति में आईवीएफ के साथ भी वह स्वस्थ भ्रूण बनाने के लिए पर्याप्त अंडे का उत्पादन करने में सक्षम नहीं हो पाती है।
यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी 35-40 तक की आयु तक की महिलाओं को ही आईवीएफ की सलाह देते हैं।
मिथ- नि: संतानता में आईवीएफ ही बच्चा पैदा करने का एकमात्र तरीका है।
जब तक आपको या आपके साथी को आनुवंशिक जटिलताएं न हों या आप समलैंगिक न हों, आपको स्वस्थ बच्चा पैदा करने के लिए आईवीएफ की आवश्यकता नहीं है। आईवीएफ की जरूरत विशेष स्थितियों में ही होती है। स्वस्थ जोड़ों के लिए आईवीएफ जरूरी नहीं है। आप सामान्य रूप से गर्भधारण का प्रयास कर सकते हैं, या अगर इसमें कोई समस्या आ रही है तो इस बारे में किसी विशेषज्ञ की सलाह लें।
मिथ-आईवीएफ से पैदा होने वाले बच्चे होते हैं असामान्य।
आईवीएफ को लेकर लोगों में सबसे आम गलत धारणा यही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यह जानकारी सही नहीं है। आईवीएफ में आनुवंशिक परीक्षण के बाद और सभी प्रकार के जांच के आधार पर ही भ्रूण प्रत्यारोपित किया जाता है। भ्रूण के प्रत्यारोपण से पहले, प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग (पीजीएस) का उपयोग करके आनुवंशिक समस्याओं का समाधान किया जाता है।2010 में किए गए एक अमेरिकी अध्ययन के अनुसार, आईवीएफ जैसी सहायक प्रजनन तकनीक के माध्यम से पैदा हुए 4% शिशुओं में जन्म दोष हो सकते हैं।