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ओवल ऑफिस में बाइडन-मोदी की गुप्त बैठक में चीन था मुख्य मुद्दा, वरिष्ठ अफसर का खुलासा; जानें क्या बात हुई

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अधिकारी ने कहा कि चीन हमारे रिश्तों को जोड़ने के लिए जरूरी नहीं है। लेकिन वह एक कारण है, जिसकी वजह से हम काफी लंबे समय तक एक साथ रहने वाले हैं। अधिकारी ने आगे कहा कि दोनों देशों का मानना है कि चीन उनके लिए एक बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन की पिछले महीने हुई गुप्त मुलाकात को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि ओवल कार्यालय में बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने चीन और उसके प्रमुख शी जिनपिंग पर सबसे अधिक चर्चा की।

चीन से संबंध सुधारने के लिए की कड़ी मेहनत
नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि ओवल कार्यालय में हुई बैठक में मोदी और बाइडन के बीच हुई चर्चा का प्रमुख मुद्दा चीन था। दोनों ने अधिकांश समय चीन और शी के साथ उनके अनुभवों के बारे में चर्चा करने में बिताया था। उन्होंने कहा कि दोनों ही लोग शी को लंबे समय से जानते थे और उनके साथ संबंध सुधारने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत कर रहे थे। हालांकि,अब दोनों नेताओं ने हार मान ली।

ड्रैगन एक बड़ा खतरा
अधिकारी ने कहा कि चीन हमारे रिश्तों को जोड़ने के लिए जरूरी नहीं है। लेकिन वह एक कारण है, जिसकी वजह से हम काफी लंबे समय तक एक साथ रहने वाले हैं। अधिकारी ने आगे कहा कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों का मानना है कि चीन उनके लिए एक बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा है। बाइडन प्रशासन सोचता है कि बीजिंग को संभालने के मामले में नई दिल्ली वाशिंगटन से आगे रही है।

पिछले महीने अमेरिका गए थे पीएम मोदी
गौरतलब है, प्रधानमंत्री मोदी 21 से 23 जून के बीच अमेरिका की राजकीय यात्रा पर थे। 22 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति ने सुबह व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री का स्वागत किया था। बाद में उसी दिन शाम को राजकीय रात्रिभोज में बाइडन और मोदी ने आठ घंटे से अधिक समय तक एक साथ समय बिताया था।

चीन से मुकाबला करने में भारत आगे
अधिकारी ने बताया कि नागरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और मानवाधिकार मामलों की अवर सचिव उजरा जेया ने कुछ हफ्ते पहले नई दिल्ली में दलाई लामा के साथ एक बैठक की थी और चीन के लोग इसे लेकर पागल हो गए थे। उन्होंने कहा कि भारतीय कुछ मायनों में हमसे आगे थे। चीन के खतरे का मुकाबला करने के मामले में भारत आगे है। चाहे वह टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाना हो, चाहे वह बिना चीनी उपकरणों के मोबाइल नेटवर्क का निर्माण करना हो, भारत ने वास्तव में जोखिम को कम करने के लिए आगे का रास्ता दिखाया है और यही कारण है कि और इसलिए मुझे लगता है कि वे इतने आलोचनात्मक हैं।

अधिकारी ने जी-20 चर्चाओं और सभी हितधारकों को एक साथ लाने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे संतुलन कार्य के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों ही अभी भी चीन की कई चीजों पर निर्भर हैं। जी-20 में चीन और रूस एक वास्तविक अड़चन रहा है।

मोदी दोनों देशों में बराबर लोकप्रिय
यह देखते हुए कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच अब से अधिक मजबूत संबंध कभी नहीं रहे अधिकारी ने कहा कि भारत में हुए कुछ सर्वों में सामने आया है कि मोदी की लोकप्रियता लगभग 80 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि मोदी जितने लोकप्रिय भारत में हैं उतने ही अमेरिका में भी।

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