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राममंदिर निर्माण का 35 प्रतिशत काम पूरा : प्लिंथ में अब तक लग चुके हैं सात हजार पत्थर, गर्भगृह में बिछाई गईं 42 शिलाएं

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श्रीराम जन्मभूमि में निर्माणाधीन राममंदिर का 35 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। इस समय मंदिर निर्माण का तीसरा चरण संचालित है। इसमें रामलला के गृह को आकार देने का काम हो रहा है। गर्भगृह के साथ-साथ प्लिंथ व रिटेनिंग वाल का भी काम संचालित है। ट्रस्ट ने दिसंबर 2023 तक रामलला के गर्भगृह निर्माण का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

नामी तकनीकी एजेंसियों के निर्देशन में बड़ी-बड़ी मशीनों के जरिए मंदिर निर्माण के काम को आगे बढ़ाया जा रहा है। मंदिर निर्माण के दो चरण अब तक पूूरे हो चुके हैं। पहले चरण में राममंदिर की 50 फीट गहरी नींव तैयार हुई। दूसरे चरण में मंदिर की रॉफ्ट का काम पूरा हुआ। तीसरे चरण में रामलला के घर निर्माण का काम संचालित है। इस तरह मंदिर निर्माण का अब तक 35 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ.अनिल मिश्र ने बताया कि प्लिंथ का काम सितंबर तक पूरा होगा। 21 फीट ऊंची मंदिर की प्लिंथ में ग्रेनाइट के कुल 17 हजार पत्थर लगने हैं। जिसमें से अब तक सात हजार पत्थर लग चुके हैं। वहीं गर्भगृह में अभी महापीठ का निर्माण हो रहा है। जहां रामलला विराजमान होंगे। उस हिस्से को महापीठ कहा जाता है। महापीठ निर्माण में अब तक 42 शिलाएं बिछाई जा चुकी हैं।

वहीं दूसरी तरफ मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए बन रही सुरक्षा दीवार की नींव का काम पूरा होने के बाद अब पश्चिम दिशा में दीवार खड़ी करने का काम शुरू हो चुका है। ट्रस्ट के सूत्रों ने बताया कि गर्भगृह के महापीठ जहां रामलला चारों भाईयों के साथ विराजमान होंगे। मंदिर के प्रथम तल पर ठीक महापीठ के ऊपर ही रामदरबार की स्थापना की जाएगी। दूसरे तल को अभी खाली छोड़ने का निर्णय लिया गया है। (संवाद)

गोपुरम की तर्ज पर बनेगा मंदिर का मुख्य द्वार
राममंदिर का मुख्य द्वारा गोपुरम की तर्ज पर बनेगा। मुख्य प्रवेश द्वारा पूर्व दिशा में होगा। गोपुुुरम दक्षिण शैली के मंदिरों में बनाए जाते हैं। दक्षिण के मंदिरों के प्रवेश द्वार को गोपुरम कहा जाता है। यह पिरामिड के आकार का होता है। राममंदिर का प्रवेश द्वार भी इसी शैली में बनाया जाएगा उत्तर भारत में इन्हें सिंहद्वार कहा जाता है। राममंदिर के प्रवेश द्वार में बेहतरीन शिल्पकारी व नक्काशी देखने को मिलेगी। प्रवेश करते ही रामायण युग का अहसास होगा। रामकथा व देवी-देवताओं के चित्र द्वार की भव्यता बढ़ाएंगे।

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