पिछले लोकसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने की पुरजोर कोशिश की थी। कहा गया था कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस को दो सीटें देने के लिए तैयार थी, लेकिन कांग्रेस तीन सीटों से कम लेने पर सहमत नहीं थी।
बेंगलुरु बैठक से पहले कांग्रेस ने दिल्ली अध्यादेश का विरोध करने का निर्णय कर राजधानी में अपने कार्यकर्ताओं की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता अब यह समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्हें दिल्ली सरकार का विरोध करना है या लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच किसी संभावित गठबंधन को देखते हुए चुप रहना है। असमंजस की स्थिति आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की भावी चाल को भांपने में नाकाम राजधानी के कार्यकर्ता कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
राहुल गांधी ने यह ट्वीट कर दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभावनाओं को लगभग समाप्त कर दिया था कि कांग्रेस केजरीवाल के साथ पंजाब में गठबंधन को तैयार है। हालांकि, कांग्रेस ने पंजाब में आठ सीटों पर सफलता प्राप्त की, जबकि दिल्ली की हर लोकसभा सीट पर वह भाजपा के बाद दूसरे नंबर पर रही। यानी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन हर दृष्टि से बेहतर था।
कांग्रेस का हमला भी जारी
हालांकि, इस असमंजस के दौर में भी कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली सरकार पर हमला बोलना जारी रखा है। दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुदित अग्रवाल ने ट्वीट किया है कि इस समर्थन को दिल्ली सरकार का समर्थन नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने बाढ़ के मामले पर अरविंद केजरीवाल सरकार की जबरदस्त खिंचाई भी की है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी ने अमर उजाला से कहा कि अब तक वे दिल्ली सरकार के कार्यों के लिए उसे घेरते आए थे, लेकिन नई परिस्थितियों में यह समझ नहीं आ रहा है कि उन्हें क्या करना चाहिए। यदि लोकसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच गठबंधन होना है तो यह स्पष्ट होना चाहिए, अन्यथा अस्पष्टता बने रहने से दोनों दलों को नुकसान होगा।
अजय माकन केजरीवाल को अपना नेता कब घोषित करेंगे?: BJP
भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच दिल्ली में कोई गठबंधन नहीं होगा। अब कांग्रेस के नेता अरविंद केजरीवाल को सीधे तौर पर अपना नेता स्वीकार कर लेंगे। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में आम आदमी पार्टी को 53.57 प्रतिशत और कांग्रेस को केवल 4.26 प्रतिशत वोट मिले थे। उन्होंने कहा कि इतने भारी अंतर वाले दलों में गठबंधन नहीं होता, बल्कि पार्टियों का विलय कर लिया जाता है। अजय माकन और संदीप दीक्षित को दिल्ली की जनता को बताना चाहिए कि वे अरविंद केजरीवाल को अपना नेता कब स्वीकार कर रहे हैं?