आरटीओ कर्मचारियों का कहना है कि देरी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सभी कमर्शियल वाहनों के लिए फिटनेस जरूरी है। इसलिए व्यवस्था में सुधार करना अति आवश्यक है। दुर्घटना वाली बस जनवरी 2020 में यवतमाल आरटीओं में पंजीकृत हुई थी, जिसका फिटनेस 10 मार्च 2024 तक वैध था।
समृद्धि एक्सप्रेसवे पर हुए बस हादसे मामले में नए खुलासे हुए हैं। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, बस को नौ महीने बाद फिटनेस प्रमाणपत्र दिया गया था। आरटीओ कर्मियों ने दोनों प्रक्रियाओं के बीच हुई देरी को प्रशासनिक चूक कहा है। रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में लगभग 67,000 कॉन्ट्रैक्ट कैरिज बसे हैं। बता दें, एक जुलाई को समृद्धि एक्सप्रेसवे पर बुलढाणा के पास एक सड़क हादसा हो गया था। बस नागपुर से पुणे जा रही थी। हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई थी। आरटीओ कर्मचारियों का कहना है कि देरी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सभी कमर्शियल वाहनों के लिए फिटनेस जरूरी है। इसलिए व्यवस्था में सुधार करना अति आवश्यक है। दुर्घटना वाली बस जनवरी 2020 में यवतमाल आरटीओं में पंजीकृत हुई थी, जिसका फिटनेस 10 मार्च 2024 तक वैध था। आरटीओ के एक अधिकारी का कहना है कि मोटर वाहन निरीक्षक सचिन निकम ने 19 नंवबर को राष्ट्रीय वाहन रजिस्ट्री वाहन पर एक एंट्री की, जिसे निकम ने उसी दिन सत्यापित कर दिया। 29 नवंबर 2022 तक के लिए उन्होंने फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया। परिवहन विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि मोटर वाहन निरीक्षकों को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, गाड़ी का परीक्षण करने के बाद एक या दो दिन के भीतर फिटनेस प्रमाणपत्र को मंजूरी देनी चाहिए। फिटनेस नवीनिकरण से पहले अगस्त 2022 को औरंगाबाद आरटीओ और अक्टूबर 2022 को नागपुर ग्रामीण आरटीओ ने समाप्त फिटनेस के साथ चलने के लिए दो चालान जारी किए। हालांकि, इसपर नागपुर आरटीओ के प्रभारी राजाभाऊ गिते का कहना है किउस दिन बस की फिटनेस वैध नहीं थी। एनजीओ 3 (ए) रोड सेफ्टी फाउंडेशन के निदेशक वीके दुग्गल का कहना है कि बस का फिटनेस वैध होने के बाद भी दो बार चालान क्यों जारी किए गए। क्यों बस के मालिक को जुर्माना देना पड़ा। परिवहन विभाग के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने बताया कि फिटनेस को आदर्श रूप से परीक्षण के बाद उसी दिन या फिर कुछ दिनों के अंदर अनुमोदित किया जाना चाहिए। यह प्रशासनिक चूक थी।