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भारत-ब्रिटेन अपने अंतरिक्ष समूहों को जोड़ेंगे, लीसेस्टर से शुरुआत

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ब्रिटिश मंत्री जॉर्ज फ्रीमैन ने कहा कि भारत और ब्रिटेन परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी मिलकर काम करने के इच्छुक हैं और परमाणु विखंडन और संलयन पर सहयोग करने को उत्सुक हैं।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने सहयोग को बढ़ाते हुए भारत और ब्रिटेन (यूके) अपने अंतरिक्ष समूहों को जोड़ेंगे। इसकी शुरुआत लीसेस्टर अंतरिक्ष पार्क से होगी। ब्रिटेन के विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार मंत्री जॉर्ज फ्रीमैन ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन इस बात पर भी चर्चा कर रहे हैं कि वे निचली पृथ्वी अवलोकन कक्षाओं और उपग्रह संचार के विनियमन का बेहतर उपयोग कैसे कर सकते हैं।

फ्रीमैन के अनुसार, दोनों देश परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी मिलकर काम करने के इच्छुक हैं और परमाणु विखंडन और संलयन पर सहयोग करने को उत्सुक हैं। फ्रीमैन ने पीटीआई को एक साक्षात्कार में बताया कि हम यूके के अंतरिक्ष क्लस्टर पार्कों को भारतीय अंतरिक्ष पार्कों से जोड़ने पर विचार कर रहे हैं, जिसकी शुरुआत लीसेस्टर (अंतरिक्ष पार्क) से होगी। ताकि हम अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को विकसित कर सकें और व्यावसायिक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में यूके के वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों के साथ काम करने वाले युवा भारतीय वैज्ञानिकों की नई पीढ़ी के लिए कौशल का विकास कर सकें।

फ्रीमैन पिछले सप्ताह जी-20 विज्ञान मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए मुंबई में थे। उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष जितेंद्र सिंह से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन देश भर में फैले अपने अंतरिक्ष समूहों में निवेश कर रहा है। फ्रीमैन ने कहा कि यूके ‘ऊर्ध्वाधर एकीकृत संप्रभु बंद अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था’ को विकसित करने की कोशिश नहीं कर रहा है, बल्कि एक खुली वाणिज्यिक वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ब्रिटेन ने अंतरिक्ष अधिनियम पारित किया है, जो अंतरिक्ष के लिए नियामक ढांचा शुरू करने और स्थापित करने वाला यूरोप का पहला देश है। फ्रीमैन ने कहा, हम कोशिश कर रहे हैं कि अगले कुछ महीनों में इन विचारों को जल्दी से विकसित किया जाए ताकि प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इस साल के अंत में जब भारत आएं, तो उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास घोषणा करने के लिए उपायों का एक बड़ा समृद्ध पैकेज हो।

उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन ऐसे क्षेत्रों पर भी गौर कर रहे हैं जहां दोनों देशों के रणनीतिक हित हों और बहुत मजबूत तालमेल हो। उन्होंने कहा कि भविष्य के दूरसंचार, उपग्रह संचार, एआई और 5जी के क्षेत्र में हम भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और तेजी से सबसे बढ़ती और प्रभावशाली अर्थव्यवस्था बनते हुए देख रहे हैं।

ब्रिटिश मंत्री ने कहा कि भारत द्वारा प्रौद्योगिकियों को अपनाना और उन प्रौद्योगिकियों का विनियमन वैश्विक सुरक्षा के लिए बिल्कुल महत्वपूर्ण होगा। इसलिए हम तकनीकी सहयोग और नियामक सहयोग दोनों विकसित करने के लिए उन महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर काम करने पर सहमत हुए हैं। फ्रीमैन ने कहा, भारत की नवप्रवर्तन अर्थव्यवस्था, विकास का पैमाना और डिजिटल प्रौद्योगिकियों का मतलब है कि अगले दशक में ब्रिटेन और भारत के लिए बहुत ही रोमांचक वर्ष होंगे।

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