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पहाड़ियों पर बसा स्कूल, घना कोहरा और बदला लेने को बेचैन एक आत्मा, मामला रामसे सा है पर ठीक है

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‘रॉकेट बॉयज’ सीजन वन और ‘एम्पायर’ जैसी शानदार वेब सीरीज बनाने वाली कंपनी एम्मे एंटरटेनमेंट ने जब हॉरर श्रेणी की सीरीज ‘अधूरा’ बनाने का एलान किया था, तभी से इस सीरीज को लेकर दर्शकों में काफी उत्सुकता रही है। प्राइम वीडियो की भी ये पहली देसी हॉरर सीरीज है लिहाजा इसका इंतजार और भी रहा लेकिन, ‘सिटाडेल’ जैसी कमजोर सीरीज में करोड़ों डॉलर फूंकने वाली कंपनी अमेजन के इस ओटीटी प्लेटफॉर्म की देसी हॉरर सीरीज में भी बोहनी ठीक नहीं रही। जिन लोगों को हिंदी सिनेमा की बी और सी ग्रेड हॉरर फिल्मों में दिलचस्पी रही है, वे रामसे ब्रदर्स की फिल्म ‘होटल’ से जरूर वाकिफ होंगे। कुछ कुछ वैसी ही कहानी है वेब सीरीज ‘अधूरा’ की। धोखा देने वालों से बदला लेने को बेचैन एक आत्मा वहां भी है और वैसी ही बेचैन आत्मा यहां भी है। बस फर्क कहानी की पृष्ठभूमि बदल देने का है।

Adhuraa Review in Hindi By Pankaj Shukla Prime Video Rasika Dugal Ishwak Singh Shrenik Arora Emmay

रीयूनियन के दौरान हादसों का हॉरर

वेब सीरीज ‘अधूरा’ ऊटी में बसे नीलगिरी स्कूल की कहानी है। ओटीटी पर छात्रों के रीयूनियन की कहानियों की बाढ़ विजय सेतुपति और तृषा की सुपरहिट तमिल फिल्म ‘96’ के बाद से आई है। यहां रीयूनियन 2007 के छात्रों का है। इस बैच की एक पुरानी फोटो सामने आती है जिसमें एक लड़के के चेहरे पर पुती कालिख कहानी की कलई खुलने के साथ उतरती है। कहानी के केंद्र में एक बच्चा है जो इन दिनों इस स्कूल में पढ़ रहा है। पुराने छात्र अपने स्कूल के इस रीयूनियन में शामिल होने देश विदेश से लौटते हैं। पुराने दिनों के किस्से आज के समय में घट रहे हादसों से जुड़ते चलते हैं।
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15 साल के अंतराल का पेंडुलम

कहानी पेंडुलम की तरह 15 साल के इस अंतराल को आगे पीछे जोड़ते हुए आगे बढ़ती है। प्रेम, दोस्ती, समलैंगिकता और मनोरोग की क्षेपक कथाएं इसे आगे धकेलती रहती हैं। और, क्लाइमेक्स पर आकर जब सारा मामला अपने अंत को प्राप्त होता दिखता है तो इसे बनाने वालों को लगता है कि एक क्लाइमेक्स से काम नहीं चलेगा तो हॉलीवुड फिल्मों की नकल करते हुए वे तीन क्लाइमेक्स फिल्माते हैं और ठीक ठाक सी बन गई एक सीरीज को सीक्वल की कगार पर लाने की कोशिश में इसका सारा असर बेकार कर देते हैं। आखिरी के दो एपिसीड में राहुल देव का किरदार भी काफी कमजोर है और जिस टेंट पोल को तानने की उम्मीद उनके किरदार से बनती है, उसमें वह विफल रहते हैं।
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रसिका दुग्गल ने निराश किया

वेब सीरीज ‘अधूरा’ की कास्टिंग शुरू होने पर सबसे पहले दो नाम आते हैं, एक ‘मिर्जापुर’ सीरीज से मशहूर हुईं रसिका दुग्गल का और दूसरा ‘रॉकेट बॉयज’ के हीरो इश्वाक सिंह का। वेब सीरीज ‘नाइट मैनेजर’ से डेब्यू कर चुके बाल कलाकार श्रेणिक अरोड़ा से भी ये सीरीज परिचय कराती है। रसिका दुग्गल यहां स्कूल की काउंसलर की भूमिका में हैं। उसे लोगों की आंख का कांटा बने बच्चे वेदांत में अपने बच्चे की छवि नजर आती है और वह उसका अतिरिक्त ख्याल भी रखती है। लेकिन, प्रेतात्मा से पीड़ित एक बच्चे और उसका मां की तरह ख्याल रखने की इच्छुक एक काउंसलर के बीच जो भावुक रिश्ता पनपना चाहिए, वह कहानी में बन नहीं पाता है। इस मामले में श्रेणिक ने जहां सराहनीय काम किया है, वहीं रसिका दुग्गल के अभिनय में वैसा भाव दिखता नहीं है जिसकी अपेक्षा उनसे बनती है।
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इश्वाक, रिजुल, जोया और पूजन ने सुलझाए पेंच

दूसरी तरफ इश्वाक सिंह हैं। 15 साल पहले अपनी महिला मित्र को खो चुके किशोर का वह अमेरिका रिटर्न वर्जन बने हैं। यहां उसे अपनी पूर्व प्रेमिका स्कूल के दिनों के अपने विरोधी की बीवी के तौर पर मिलती है। स्कूल के दिनों के दूसरे साथी भी हैं। दबंग बच्चों से पीड़ित एक छात्र की कहानी से मौजूदा कहानी का सिरा जुड़ता है और कहानी बार बार 2007 के बैच के छात्रों के आखिरी दिन घटी घटनाओं की तरफ जाती रहती है। अपने लापता दोस्त को खोजने आए पुराने छात्र के रूप में इश्वाक ही इस सीरीज को आखिर तक देख पाने की वजह भी बनते हैं। अपने अभिनय से वह लगातार बांधे रखते हैं। इसमें उनका अच्छा सहयोग जोया मोरानी ने दिया है। आपदाओं में अवसर तलाशती एक युवती के किरदार में जोया ने भी अच्छा काम सीरीज में किया है। उनके पति बने रिजुल रे का काम भी ठीक है। लेकिन, इस सीरीज में सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला काम किया है निनाद रमन बने पूजन छाबड़ा ने।

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कैमरे और संगीत की अच्छी जुगलबंदी

वेब सीरीज ‘अधूरा’ अभिनय के मामले में तो पास होने लायक नंबर पा लेती है। सृजन चौरसिया की सिनेमैटोग्राफी और जॉन स्टुअर इदुरी का संगीत मिलकर सीरीज में डरावना माहौल बनाने में भी सफल रहते हैं। लेकिन, सीरीज की सबसे कमजोर कड़ी है इसकी कहानी और इसकी पटकथा। संवाद भी कुछ खास प्रभावित नहीं करते हैं। सीरीज का आखिरी एपिसोड इसका सबसे कमजोर एपिसोड है और इसी के चलते इसके पहले के बाकी छह एपिसोड का असर क्लाइमेक्स तक आकर गड़बड़ा जाता है। गनीमत यही है कि समलैंगिक रिश्तों के नाम पर सीरीज में फूहड़ता नहीं है और न ही हॉरर की आड़ में किसी तरह के दैहिक संबंधों की नुमाइश। एम्मे एंटरटेमेंट का ओटीटी पर अच्छा नाम रहा है, ऐसे में अगर इसकी टीम हॉरर सीरीज के लिए कोई ढंग की कहानी चुनती तो ये उनके लिए भी बेहतर होता और दर्शकों के लिए भी।

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