केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों के प्रमुखों से कहा कि वे बुरे फंसे कर्ज यानी एनपीए की निष्पक्ष एवं पारदर्शी पहचान सुनिश्चित करें। साथ ही, विकास और लाभप्रदता की सि्थति बनाए रखने के लिए मजबूत जोखिम प्रबंधन प्रथाओं को अपनाएं। वित्त मंत्री ने गुरुवार को सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक में उनके कामकाज की समीक्षा की और प्रदर्शन में सुधार को लेकर जरूरी सुझाव भी दिए। इस दौरान सकारात्मक वृहत आर्थिक रुझान, बेहतर कारोबारी धारणा और इन बैंकों के प्रदर्शन पर चर्चा हुई।
ग्रामीण-कृषि क्षेत्र को दें पर्याप्त कर्ज
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों को खास निर्देश दिया कि वे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के कर्ज (पीएसएल) मानदंडों को पूरा करने के लिए ग्रामीण, कृषि और समाजिक क्षेत्रों को पर्याप्त कर्ज दें। यह भी सुनिश्चित करें कि इन क्षेत्रों को कर्ज देने संबंधी सारे लक्ष्य हासिल हों। उन्होंने रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाने वालों को भी वित्तीय सुविधा देने पर जोर दिया। पीएमस्वनिधि नाम से एक बैंकिंग कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वित्त मंत्री को बताया गया कि इस कार्यक्रम के तहत 33 लाख लोगों को फायदा पहुंचाया जा चुका है।
पीएमस्वनिधि का कवरेज बढ़ाने को चलेगा अभियान
वित्त मंत्री ने कहा, पीएमस्वनिधि के लाभार्थियों को डिजिटल भुगतान का फायदा दिलाने का अभियान शुरू किया जाए। वित्त राज्य मंत्री डॉ. बीके कराड इसकी निगरानी करेंगे। वे शहरी निकायों संग मिलकर अभियान चलाएंगे।
2022-23 के वित्तीय नतीजे आने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सरकारी बैंक प्रमुखों के साथ यह पहली समीक्षा बैठक थी। पिछले वित्त वर्ष में इन बैंकों को रिकॉर्ड 1.04 लाख करोड़ का लाभ हुआ था। इसमें भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की लगभग आधी हिस्सेदारी थी। वित्त वर्ष 2017-18 में 85,390 करोड़ रुपये का कुल शुद्ध घाटा दर्ज करने से सरकारी बैंकों ने तेजी से रिकवरी की है और 2022-23 में इन बैंकों का लाभ 1,04,649 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।