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बैंक ने CBI से कहा- वीडियोकॉन को नियमों के तहत दिया गया लोन, 3250 करोड़ की ऋण धोखाधड़ी का है मामला

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आईसीआईसीआई बैंक ने चंदा कोचर के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भेजे एक आधिकारिक पत्र में कहा है कि बैंक को उनके फैसले से कोई गलत नुकसान नहीं हुआ है। बता दें कि चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के प्रमोटर वी एन धूत को 3,250 करोड़ रुपये के कथित ऋण धोखाधड़ी घोटाले में आरोपी बनाया गया है और तीनों के नाम सीबीआई की 11,000 पन्नों की चार्जशीट में दर्ज हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आईसीआईसीआई बैंक ने सीबीआई को लिखे एक नोट में कहा कि बोर्ड ने इस बात को दोबारा विचार किया कि कोचर के फैसले से बैंक को “कोई गलत नुकसान” नहीं हुआ है या नहीं। आखिरकार निष्कर्ष यही निकाला गया है कि वीडियोकॉन की कंपनियों को उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए ऋण मंजूर किया गया था। बैंक ने साथ ही यह भी कहा है कि हालांकि इस बात का इससे कोई संबंध नहीं है कि अपराध किया गया है नहीं।

रिपोर्ट के अनुसार बैंक की ओर से बीते 15 मई को सीबीआई की ओर से भेजे गए नोट में यह बात कही गई थी, जिसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। पत्र में कहा गया है, ‘यह गौर किया गया कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डॉ. अरिजीत पसायत ने भी राय दी है कि अगर निदेशक मंडल चंदा कोचर के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देता है तो उसे विशेष रूप से बैंक का रुख बताना चाहिए जैसा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 17ए के तहत मंजूरी देते समय कहा गया था। आईसीआईसीआई बैंक ने इस मामले में पसायत की राय मांगी थी।

इस महीने की शुरुआत में सीबीआई ने अदालत को बताया था कि आईसीआईसीआई बैंक के निदेशक मंडल ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत कोचर के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। बैंक ने कहा कि उसने वीडियोकॉन समूह की कंपनियों मिलेनियम अप्लायंसेज इंडिया लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, स्काई अप्लायंसेज लिमिटेड, टेक्नो इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, एप्लिकॉम्प इंडिया लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को दिए गए सभी छह स्टैंडअलोन लोन पर पूर्व जस्टिस अरिजीत पसायत से राय मांगी थी, जिनकी जांच सीबीआई कर रही है। बैंक ने कहा, ‘इसलिए गलत तरीके से नुकसान और नियमों व बैंक नीति के उल्लंघन का कोई मामला नहीं है। बैंक का रुख अब भी वही है।

बैंक ने आगे कहा कि यदि कोई प्रबंधक ऋण मंजूर करने के लिए रिश्वत स्वीकार करता है, लेकिन वह ऋण ब्याज के साथ चुकाया जाता है तो ऋणदाता को कोई नुकसान नहीं होता है। सीबीआई ने सोमवार को विशेष सीबीआई अदालत को बताया कि आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू होने के बाद कोचर ने परिवार के स्वामित्व वाले ट्रस्ट की ओर से प्राप्त 3.42 करोड़ रुपये की आय पर 1.53 करोड़ रुपये का आयकर चुकाया।

सीबीआई ने बंबई उच्च न्यायालय से अपने आरोपपत्र पर संज्ञान लेने को कहा था जिसमें दावा किया गया था कि कोचर ने अपने इस्तेमाल के लिए बैंक के कोष का दुरुपयोग किया और उन्हें ‘अवैध लाभ’ के तौर पर 64 करोड़ रुपये मिले। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एजेंसी ने दावा किया था बैंक को इससे 1033 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

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