सरकारी तेल कंपनियां चालू वित्त वर्ष में मुनाफे में आ सकती हैं। रेटिंग एजेंसी फिच ने एक रिपोर्ट में कहा, पिछले वर्ष में इन कंपनियों को घाटा हुआ था, लेकिन अब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के सस्ते होने से ये मुनाफे में आ सकती हैं। हालांकि, सस्ते तेल के बावजूद ग्राहकों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है, क्योंकि कंपनियां पिछले साल हुए घाटे की भरपाई के लिए लंबे समय से पेट्रोल व डीजल की कीमतों को स्थिर रखी हैं।
सात फीसदी रहेगी जीडीपी की गति
एजेंसी ने कहा, अगले कुछ वर्षों तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6-7 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकार पिछले कुछ वर्षों से बुनियादी ढांचे की मजबूती पर लगातार भारी खर्च कर रही है और इससे न सिर्फ आर्थिक बल्कि औद्योगिक गतिविधियों में भी तेजी आ रही है। आने वाले समय में इससे पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ने की उम्मीद है। एजेंसी ने अनुमान जताया है कि देश में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग मध्यम अवधि में 5-6 फीसदी के बीच रह सकती है।
सऊदी अरब और रूस ने कटौती अगस्त तक बढ़ाई
दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सऊदी अरब और रूस ने सोमवार को तेल उत्पादन में कटौती बढ़ा दी। सऊदी अरब ने कहा, 10 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती को अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है जो उसके बाद भी जारी रह सकती है। इसके बाद रूस ने भी तेल निर्यात में हर दिन 5 लाख बैरल कटौती अगस्त तक के लिए बढ़ा दी। दोनों देशों की घोषणा के बाद सोमवार को क्रूड बढ़कर 76 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया।
भारतीय कंपनियां युआन में कर रहीं रूस को भुगतान
रूस पर प्रतिबंधों से भारतीय तेल कंपनियां रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए कुछ भुगतान अब डॉलर की जगह चीन की मुद्रा युआन में कर रही हैं। कुछ बैंक डॉलर में कारोबार निपटान नहीं कर रहे हैं, जिससे ऐसा करना पड़ रहा है।
भारतीय रिफाइनरी कंपनियां युआन में ऐसे समय में भुगतान कर रहे हैं, जब चीन इसे वैश्विक मुद्रा के रूप में प्रचारित कर रहा है। सूत्रों ने बताया, सबसे पहले इंडियन ऑयल ने जून में रूस को युआन में भुगतान शुरू किया था। अब भारत की कम-से-कम दो निजी रिफाइनर भी तेल खरीद के लिए युआन में भुगतान कर रही हैं।