संयुक्त राष्ट्र ने भारत के स्वच्छता अभियान की तारीफ करते हुए कहा था कि इस अभियान का सबसे बड़ा फायदा बच्चों को हुआ है। भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या घटकर करीब 8 लाख हो गई है, जो 2 साल पहले करीब 10 लाख थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताजा रिपोर्ट में असुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और साफ-सफाई (डब्ल्यूएएसएच/वॉश) का अभाव बच्चों की मौत की सबसे बड़ी वजह बताई गई है। रिपोर्ट में 5 साल से कम उम्र के 3,95,000 मौतों के लिए इन्हें जिम्मेदार बताया है। इसमें डायरिया से 2,73,000 मौतें और तीव्र श्वसन संक्रमण से 1,12,000 मौतें हुईं। इसका आकलन करने के लिए डब्ल्यूएचओ के 183 सदस्य देशों का डेटा शामिल किया गया है।
बच्चों पर घातक असर पड़ रहा
असुरक्षित पेयजल, स्वच्छता और स्वच्छता के कारण बीमारी का बोझ संबंधी रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया की आधी आबादी अभी भी पीने के साफ पानी और साफ-सफाई तक पहुंच के लिए संघर्षरत है। वैश्विक स्तर पर 771 मिलियन लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है और 1.7 बिलियन लोगों के पास शौचालय नहीं है। दस्त, तीव्र श्वसन संक्रमण, अल्पपोषण और मिट्टी से प्रसारित हेल्मिंथियासिस (एसटीएच) का बच्चों पर घातक असर पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार एसटीएच दुनिया की 1.5 अरब (24 फीसदी) आबादी को प्रभावित करता है। एसटीएच से बीमारी के लिए 132 निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देश जिम्मेदार थे क्योंकि यही वह जगह है, जहां यह संक्रमण सबसे अधिक पाया गया। इनमें ज्यादातर अफ्रीकी और एशियाई देश थे।
भारत को सराहा
संयुक्त राष्ट्र ने भारत के स्वच्छता अभियान की तारीफ करते हुए कहा था कि इस अभियान का सबसे बड़ा फायदा बच्चों को हुआ है। भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की संख्या घटकर करीब 8 लाख हो गई है, जो 2 साल पहले करीब 10 लाख थी। पीने के लिए साफ पानी, हाथ धोने, खाद्य सुरक्षा, शौचालय का इस्तेमाल और खुले में शौच से मुक्ति आदि ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से बच्चों की मौत की संख्या लगातार घट रही है। स्वच्छता अभियान और 6 नए टीकों के कारण बच्चों को संक्रमण से बचाने में बड़ी कामयाबी मिली है। टीकाकरण के कारण इस प्रकार के रोगों और संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आई है।