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स्टडी रिपोर्ट का दावा- 27 प्रतिशत सफाई कर्मियों को फेफड़ों की गंभीर बीमारी, पढ़िए पूरी खबर

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चिंतन पर्यावरण अनुसंधान और कार्रवाई समूह के अध्ययन में बताया गया है कि 60 फीसदी से ज्यादा सफाई कर्मचारियों में से 50 प्रतिशत, कचरा बीनने वाले और 30 फीसदी सुरक्षा गार्ड उन उपायों के बारे में नहीं जानते हैं जिनके जरिए प्रदूषण के जोखिम को कम किया जा सकता है।

प्रदूषण से इस समय सब परेशान हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट आई है, जिसमें दावा किया गया है कि सफाई कर्मचारी, कचरा बीनने वाले और सुरक्षा गार्ड सबसे ज्यादा वायू प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं। देश में लगभग 97 फीसदी सफाई कर्मचारी, 95 फीसदी कचरा बीनने वाले और 82 फीसदी सुरक्षा गार्ड अपने काम के दौरान प्रदूषण के संपर्क में आ रहे हैं।

चिंतन पर्यावरण अनुसंधान और कार्रवाई समूह के अध्ययन में बताया गया है कि 60 फीसदी से ज्यादा सफाई कर्मचारियों में से 50 प्रतिशत, कचरा बीनने वाले और 30 फीसदी सुरक्षा गार्ड उन उपायों के बारे में नहीं जानते हैं, जिनके जरिए प्रदूषण के जोखिम को कम किया जा सकता है। अध्ययन में कहा गया, कचरा बीनने वाले 75 फीसदी, 86 फीसदी सफाई कर्मचारी और सुरक्षा गार्डों के फेफड़ों का कार्य असामान्य पाया गया। इसके अलावा 17 फीसदी कचरा बीनने वाले, 27 फीसदी सफाई कर्मचारी और 10 फीसदी सुरक्षा गार्ड फेफड़ों की गंभीर बीमारियों से पीड़ित मिले हैं।

ऐसे कर सकते हैं बचाव

  1. नाक और गले के जरिए शरीर में पहुंचने वाले प्रदूषित कणों की रोकथाम के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाए।
  2. कार्यस्थल के पास हाथ और चेहरा धोने की सुविधाएं अनिवार्य हो।
  3. प्रदूषण के जोखिम को सीमित करने के लिए कार्य में बदलाव जरूरी।
  4. लैंडफिल साइट की आग को रोकने के लिए कूड़े को खाद में तब्दील करना अनिवार्य होना चाहिए।
  5. कचरा जलाने की ड्रोन से निगरानी के अलावा बायो रेमेडिएशन रणनीतियों को क्रियान्वित किया जाना चाहिए।

तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से बच्चों की लार में बढ़ रही भारी धातुओं की मात्रा
तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से बच्चों की लार में सीसा जैसी गैर-जरूरी भारी धातुओं की मौजूदगी बढ़ गई है, जो जैविक खराबी का कारण बन सकती है। इससे स्वास्थ्य और व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। दावा अमेरिका की पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बच्चों की लार में धातुओं के साथ-साथ कोटिनीन के स्तर को मापने के बाद किया हैं। 2003 और 2004 में पैदा हुए 1300 बच्चों में से 238 पर हुए यह अध्ययन जर्नल ऑफ एक्सपोजर साइंस एंड एनवायर्नमेंटल एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने बताया कि मनुष्यों में स्वस्थ हड्डियों के विकास और सामान्य चयापचय के लिए थोड़ी मात्रा में तांबा और जस्ता जैसी धातुएं आवश्यक हैं। अध्ययन के प्रोफेसर गैट्जके कोप्प ने कहा, इस उम्र के बच्चों में भारी धातुओं के स्तर से हम आश्चर्यचकित थे।

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