भारत ने कहा, सुधार प्रक्रिया के बिना सुरक्षा परिषद में सभी देशों का सही तरीके से प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है। एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते, हम यूएन में सुधारों का समर्थन करने वाले अपने साझेदारों के साथ इस प्रक्रिया में शामिल होते रहेंगे और इसे लिखित वार्ता में तब्दील करने के प्रयासों पर जोर देते रहेंगे।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के सुरक्षा परिषद सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता को अगले सत्र में आगे बढ़ाने के फैसले की तीखी आलोचना की है। भारत ने इसे एक और बर्बाद अवसर बताते हुए जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार पर चर्चा बिना किसी प्रगति के 75 साल तक जारी रह सकती है।यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत अपने रुख पर कायम है कि आईजीएन को आगे बढ़ाने का फैसला सिर्फ तकनीकी कवायद तक सनहीं रह सकता। वह इसे आगे बढ़ाने की तकनीकी कवायद को एक और मौका गंवाने की तरह देखती हैं।
सभी देशों का सही ढंग से प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा
भारत ने कहा, सुधार प्रक्रिया के बिना सुरक्षा परिषद में सभी देशों का सही तरीके से प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है। एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते, हम यूएन में सुधारों का समर्थन करने वाले अपने साझेदारों के साथ इस प्रक्रिया में शामिल होते रहेंगे और इसे लिखित वार्ता में तब्दील करने के प्रयासों पर जोर देते रहेंगे।
भारत की सुधारों पर चेतावनी
यूएन में भारतीय राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा, मौजूदा स्थिति उन लोगों के हित में है, जो यथास्थिति चाहते हैं, ताकि इस प्रक्रिया को दोहराव वाले चक्रों में स्थिर रखा जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि आईजीएन से परे देखना हमें भविष्य में सुरक्षा परिषद के लिए एकमात्र व्यवहार्य मार्ग के रूप में दिखता है जो आज की दुनिया को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करेगा।