अधिकारी ने बताया कि भारत सिर्फ ड्रोन नहीं खरीद रहा है, बल्कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत इंजन, रडार प्रोसेसर इकाइयों, एवियोनिक्स, सेंसर और सॉफ्टवेयर जैसे प्रमुख घटकों और उपप्रणालियों की पूरी जानकारी हासिल करेगा।
केंद्र सरकार के एक बड़े पदाधिकारी ने दावा किया कि अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स ने भारत को बेचे जाने वाले एमक्यू-9बी प्रिडेटर ड्रोन की कीमत 27 फीसदी कम रखी है। हालांकि, अभी इस पर सौदेबाजी शुरू होगी तो इसकी कीमत और घट सकती है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राजकीय दौरे पर 31 ड्रोन खरीदने के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
अधिकारी ने बताया कि ड्रोन की कीमत को लेकर अभी बातचीत शुरू नहीं हुई है, क्योंकि 31 ड्रोन के प्रस्तावित अधिग्रहण की दिशा में फिलहाल रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इन ड्रोन की जरूरत को मंजूरी दी है। माना जा रहा है कि अगर भारत इन ड्रोन में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं कराता है तो इनकी अनुमानित लागत करीब 3.07 अरब डॉलर होगी। मोटे तौर पर भारत को एक ड्रोन करीब 9.9 करोड़ डॉलर पर मिलेगा, जबकि इसे दूसरे देशों को 16 करोड़ डॉलर से ज्यादा की कीमत पर बेचा गया है। हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को जनरल एटॉमिक्स ने ये ड्रोन करीब 17 करोड़ डॉलर में बेचा था। बताया जा रहा है कि भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखकर भारत को ये ड्रोन कम कीमत पर बेहतर कॉन्फिगरेशन के साथ उपलब्ध कराए जाएंगे। यहां तक कि अमेरिकी सेना ने भी हाल ही में 5 ड्रोन खरीदे हैं, जो 11.9 करोड़ डॉलर की कीमत पर मिले हैं।
अधिकारी ने बताया कि ड्रोन की कीमत को लेकर अभी बातचीत शुरू नहीं हुई है, क्योंकि 31 ड्रोन के प्रस्तावित अधिग्रहण की दिशा में फिलहाल रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इन ड्रोन की जरूरत को मंजूरी दी है। माना जा रहा है कि अगर भारत इन ड्रोन में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं कराता है तो इनकी अनुमानित लागत करीब 3.07 अरब डॉलर होगी। मोटे तौर पर भारत को एक ड्रोन करीब 9.9 करोड़ डॉलर पर मिलेगा, जबकि इसे दूसरे देशों को 16 करोड़ डॉलर से ज्यादा की कीमत पर बेचा गया है। हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को जनरल एटॉमिक्स ने ये ड्रोन करीब 17 करोड़ डॉलर में बेचा था। बताया जा रहा है कि भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखकर भारत को ये ड्रोन कम कीमत पर बेहतर कॉन्फिगरेशन के साथ उपलब्ध कराए जाएंगे। यहां तक कि अमेरिकी सेना ने भी हाल ही में 5 ड्रोन खरीदे हैं, जो 11.9 करोड़ डॉलर की कीमत पर मिले हैं।
हथियारों से बढ़ती 70% लागत
असल में ड्रोन की बुनियादी कीमत करीब 6.9 करोड़ डॉलर है, लेकिन इसमें सेंसर और हथियार लगाने से इसकी लागत 70 फीसदी तक बढ़ जाती है। अधिकारी ने बताया कि भारत सिर्फ ड्रोन नहीं खरीद रहा है, बल्कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत इंजन, रडार प्रोसेसर इकाइयों, एवियोनिक्स, सेंसर और सॉफ्टवेयर जैसे प्रमुख घटकों और उपप्रणालियों की पूरी जानकारी हासिल करेगा। ड्रोन का 15-20 फीसदी हिस्सा भारत में ही बनाया जाएगा। बता दें कि कांग्रेस ने इस सौदे में पारदर्शिता की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि भारत प्रिडेटर ड्रोन को ज्यादा कीमत पर खरीद रहा है। अधिकारी ने कहा कि झूठी खबरें और दुष्प्रचार के जरिये कुछ लोग इस सौदे को बाधित करने का प्रयास कर सकते हैं, क्योंकि उन्नत हथियारों से भारत के प्रतिद्वंद्वियों के बीच भय और घबराहट पैदा होना तय है।