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ईरान ने कनाडा को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में घसीटा, आतंकवाद पीड़ितों को मुआवजा देने से जुड़ा है मामला

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इस्लामिक गणराज्य ने कहा कि कनाडा ने 2012 में पारित एक कानून से अपनी प्रतिरक्षा का उल्लंघन किया था जो पीड़ितों और उनके परिवारों को आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों से नुकसान की भरपाई करने की अनुमति देता है। कनाडा की ओर से इस मामले में तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

ईरान कनाडा को आतंकवाद का प्रायोजक घोषित कर उसे (ईरान को) मिली छूट का कथित तौर पर उल्लंघन करने के मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में घसीटा है। संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। कनाडा ने 2012 में ईरान को आतंकवाद के प्रायोजक के रूप में सूचीबद्ध किया था और सीरिया में बशर असद के शासन के लिए तेहरान के समर्थन, उसके परमाणु कार्यक्रम और इजरायल के लिए खतरों के कारण संबंधों में तनाव के बाद राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे।

आईसीजे ने बयान जारी कर कही ये बात

इस्लामिक गणराज्य ने कहा कि कनाडा ने 2012 में पारित एक कानून से अपनी प्रतिरक्षा का उल्लंघन किया था जो पीड़ितों और उनके परिवारों को आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों से नुकसान की भरपाई करने की अनुमति देता है। हेग स्थित आईसीजे ने एक बयान में कहा कि ईरान ने एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में अपनी प्रतिरक्षा के कथित उल्लंघन के संबंध में मंगलवार को कनाडा के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की है। ईरान ने अदालत में अपनी फाइलिंग में कहा, “कनाडा ने अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन करते हुए ईरान और उसकी संपत्ति के खिलाफ विधायी, कार्यकारी और न्यायिक उपायों की एक शृंखला को अपनाया और लागू किया है। ईरान ने “अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के उल्लंघन” के लिए कनाडा से मुआवजे की मांग की और आईसीजे से ओटावा को कनाडाई अदालतों में तेहरान के खिलाफ किसी भी फैसले को रद्द करने के लिए कहा।”

अमेरिका के खिलाफ भी ऐसा दावा कर चुका है ईरान

कनाडा की ओर से इस मामले में तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह मामला आईसीजे में ईरान के लंबे समय से चले आ रहे उस दावे के समान है, जिसमें उसने आतंकवादी हमलों की भरपाई के लिए जब्त की गई अरबों डॉलर की संपत्तियों के लिए अमेरिका के खिलाफ दावा किया था। 2016 में, कनाडा के एक न्यायाधीश ने कनाडा में ईरान की गैर-राजनयिक भूमि और बैंक खातों को हमास और हिजबुल्ला आतंकवादी समूहों के हमलों के पीड़ितों को सौंपने का आदेश दिया।

1983 से 2002 के बीच आतंकवाद से पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने का है मामला

फैसले में ब्यूनस आयर्स, इजरायल, लेबनान और सऊदी अरब में 1983 से 2002 तक आठ बम विस्फोटों या बंधक बनाने में मारे गए अमेरिकियों के परिवारों को 13 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया गया है। वर्ष 2002 में इस्राइल के हिब्रू विश्वविद्यालय के एक कैफेटेरिया में आत्मघाती हमले में मारी गई मार्ला बेनेट के माता-पिता के नेतृत्व में इन परिवारों ने अमेरिका में ईरान पर सफलतापूर्वक मुकदमा दायर किया था। आईसीजे में दाखिल याचिका में कहा गया है, ‘ईरान सम्मानपूर्वक अदालत से अनुरोध करता है कि वह यह घोषित करे कि ईरान और उसकी संपत्ति की प्रतिरक्षा का सम्मान करने में विफल रहकर कनाडा ने ईरान के प्रति अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन किया है। आईसीजे का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए किया गया था। इसके फैसले अंतिम होते हैं लेकिन इसमें वर्षों लग सकते हैं।

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