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बैलेंस्ड एडवांटेज फंड निवेशकों को बाजार के नुकसान से बचाने में होगा मददगार, पढ़िए बैफ की रणनीति

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शेयर बाजार में हर स्तर पर प्रवेश करने वाले निवेशकों की चिंता यह रहती है कि क्या इस समय पैसा लगाया जाए? खासकर तब यह चिंता और बढ़ जाती है जब बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर हो, जैसा  कि पिछले हफ्ते हमने देखा है, जब सेंसेक्स फिर से 63,000 पार चला गया था। यहीं से बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (बैफ) की शुरुआत होती है, जो इन सभी का जवाब देता है।

यह म्यूचुअल फंड का ऐसा उत्पाद है, जो इक्विटी व डेट दोनों का मिला जुला रूप है। बाजार की स्थितियों, ब्याज दरों और आर्थिक स्थितियों के आधार पर इक्विटी व डेट के बीच बैफ में बदलाव होता है, जिससे निवेशकों को बाजार के हर चक्र में नुकसान से बचाने में मदद मिलती है।

 

इक्विटी और डेट के बीच होता है निवेश 
वैश्विक तनाव जैसे कारकों पर विचार के साथ आम निवेशक के लिए इक्विटी और डेट के बीच आवंटन करना मुश्किल हो जाता है। ब्याज दरें नई ऊंचाई पर होने से सही बॉन्ड रणनीति तय करना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल बैलेंस्ड एडवांटेज जैसे फंड ने इक्विटी या डेट से अंदर-बाहर जाने के कार्य को चतुराई से प्रबंधित किया है।

सख्त मूल्यांकन मॉडल का पालन करता है फंड
यह फंड इक्विटी के लिए एक सख्त इन-हाउस वैल्यूएशन मॉडल का पालन करता है, ताकि यह तय हो सके कि स्टॉक महंगे हैं या सस्ते। जब मार्च 2020 में महामारी के बाद सेंसेक्स में भारी गिरावट आई और यह 29,000 से नीचे पहुंच गया तो फंड ने इक्विटी में निवेश बढ़ाकर 73.7% कर दिया।

नवंबर 2021 तक जब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 60,000 अंक से अधिक के स्तर तक पहुंच गया था, तब उस समय बैलेंस्ड एडवांटेज फंड ने अपने शुद्ध इक्विटी निवेश को 30 फीसदी से कम कर दिया था। मई 2023 तक बैफ का शुद्ध इक्विटी निवेश 39.7 फीसदी रहा है।

सस्ते में खरीदो और महंगे में बेचो की रणनीति
बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों की रणनीति होती है कि जब बाजार नीचे हो तो सस्ते में शेयर खरीदे जाएं और जब ऊपर हो तो महंगे में बेच दें। इससे निवेशक महंगे बाजारों में मुनाफा कमाते हैं, जिससे पोर्टफोलियो को बाद के मंदी के बाजार से बचाया जा सके। हालांकि, शुद्ध इक्विटी निवेश 30% तक किया जा सकता है, लेकिन आम तौर पर इसे 65% और उससे अधिक रखा जाता है।

लार्ज व मिडकैप भी फायदे वाले
लार्ज व मिडकैप इक्विटी योजनाएं भी पोर्टफोलियो में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जो निवेशक स्थिरता व विकास चाहते हैं वे लार्ज यानी बड़ी और मिडकैप फंड यानी मध्यम कंपनियों के शेयरों में निवेश पर विचार कर सकते हैं। इसका अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है और यह भारत की विकास गाथा का लाभ उठाने और लक्ष्यों को पूरा करने में मदद के लिए अच्छी स्थिति में है।

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