भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देश में हिंसा भड़क गई थी। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने 10 हजार से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।
नौ सदस्यीय पीठ में इन जजों को किया गया शामिल
बांदियाल की अगुवाई वाली बेंच गुरुवार को सैन्य अदालतों में चल रहे नागरिकों के खिलाफ दायर मुकदमों वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। गठित नौ सदस्यीय पीठ में जस्टिस काजी फैज ईसा, जस्टिस तारिक मसूद, जस्टिस इजाजुल अहसान, जस्टिस सैयद मंसूर अली शाह, जस्टिस मुनीब अख्तर, जस्टिस याह्या अफरीदी, जस्टिस मजहर नकवी और जस्टिस आयशा मलिक शामिल हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश जव्वाद एस ख्वाजा उन याचिकाकर्ताओं में शामिल थे, जिन्होंने मंगलवार को सैन्य अदालतों में 9 मई को दंगाइयों के परीक्षण के लिए गठबंधन सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा, सैन्य अदालतों में नागरिकों के मुकदमे अंतरराष्ट्रीय निष्पक्ष परीक्षण मानकों को पूरा नहीं करते हैं, सैन्य अदालतों द्वारा नागरिकों पर मुकदमा चलाने का निर्णय मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
9 मई को हुए दंगों के मामले में पूर्व उड्डयन मंत्री गिरफ्तार
पूर्व उड्डयन मंत्री गुलाम सरवर खान को बुधवार को 9 मई को भड़की हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया। रावलपिंडी पुलिस के प्रवक्ता इंस्पेक्टर सज्जादुल हसन ने उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री गुलाम सरवर खान को पिंडी और राजधानी पुलिस द्वारा संयुक्त छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने नेशनल असेंबली के पूर्व सदस्य मंसूर हयात खान और पंजाब के पूर्व एमपीए अम्मार सिद्दीकी खान को भी हिरासत में ले लिया। अधिकारियों ने बताया है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के दौर में नियुक्त पूर्व उड्डयन मंत्री और गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों को तक्षशिला के एक पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित कर दिया गया है। हिंसा के मामले में एक महीने से अधिक समय से गुलाम सरवर खान को पुलिस तलाश कर रही थी।
नौ मई को पाकिस्तान में कई राज्यों में भी भड़की थी हिंसा
नौ मई को इस्लामाबाद में अद्धसैनिक रेंजरों द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार किए जाने के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ था। उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लाहौर कोर कमांडर हाउस, मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित एक दर्जन सैन्य प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की थी। रावलपिंडी में सेना मुख्यालय (जीएचक्यू) पर भी पहली बार भीड़ ने हमला किया था। पुलिस ने हिंसक झड़पों में मरने वालों की संख्या 10 बताई, जबकि खान की पार्टी का दावा है कि सुरक्षाकर्मियों की गोलीबारी में उसके 40 कार्यकर्ताओं की जान चली गई। पाक सेना द्वारा हिंसा के बाद खान के हजारों समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया गया था।