भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की मनोहारी सूरत सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। रथ यात्रा का शहर में कई स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया। यात्रा को लेकर लोगों में काफी उत्साह रहा। हरे-रामा-हरे कृष्णा के भजनों से शहर भक्तिमय दिखाई दिया।
हरे राम-हरे कृष्णा… संकीर्तन की धुन पर थिरकते श्रद्धालु और प्रभु का गुणगान करते चल रहे कृष्ण भक्त। यह नजारा मंगलवार को अषाढ़ शुक्ल द्वितीया पर रामघाट रोड स्थित एक मैरिज होम से निकली रथयात्रा में दिखायी पड़ा। भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने को शहर के लोगों में होड़ सी मच गई।
भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की मनोहारी सूरत सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। रथ यात्रा का शहर में कई स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया। यात्रा को लेकर लोगों में काफी उत्साह रहा। हरे-रामा-हरे कृष्णा के भजनों से शहर भक्तिमय दिखाई दिया। हरे कृष्ण महामंत्र के दिव्य संकीर्तन के बीच भक्तों के समक्ष भगवान जगन्नाथ रथ पर बड़े भाई बलदेव, बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हुए।
तत्पश्चात उनको छप्पन भोग अर्पित किया गया। भोग ग्रहण करने के उपरांत सुगंधित पुष्पों से सुशोभित अपने दिव्य रथ पर विराजमान हुए। जहां पर संतों द्वारा उनकी आरती की गई। शहर विधायक मुक्ता राजा, महापौर प्रशांत सिंघल, शशि सिंह, निदेशक कोयला मंत्रालय, जिला पंचायत अध्यक्ष विजय सिंह, प्रवीण राज सिंह प्रतिनिधि जिला पंचायत अध्यक्ष, मानव महाजन, अनिल सारस्वत चेयरमैन विवेकानंद कॉलेज द्वारा आरती उतारकर हरी झंडी दिखाकर रथ यात्रा का शुभारंभ किया। अतिथियों ने रथ के समक्ष झाडू लगाकर पारंपरिक तरीके से रथ यात्रा का शुभारंभ किया।
जय जगन्नाथ के जयकारे से वातावरण हुआ भक्तिमय
रामघाट रोड से शुरू हुई जगन्नाथ यात्रा शहर के कई प्रमुख मार्गों एवं बाजारों में से होकर निकली। पूरा शहर भगवान जगन्नाथ के जयकारों से गूंजता सुनाई दिया। ढ़ोल-नगाढ़े के साथ शुरू हुई इस यात्रा में बड़ी संख्या में पुरूष, महिलाएं एवं बच्चे शामिल रहे। सभी एक जैसी वेशभूषा में दिखे। भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए सड़कों पर भक्तों का जमावड़ा उमड़ पड़ा। लोगों की भीड़ यात्रा को देखने के लिए ठहर गई। हर कोई इन पलों को अपने मोबाइल फोन में कैद कर लेना चाहता था। श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा का केसर, चंदन, पंचामृत आदि से अभिषेक किया और आरती उतारकर पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं ने जय जगन्नाथ के जयकारे लगाकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। श्री हरि के दर्शन कर श्रद्धालु भक्ति विभोर होकर नृत्य करने लगे।