समाजवादी पार्टी लू और गर्मी कम होने पर पूर्वांचल को मथेगी। सपा शून्य से आगे बढ़ने की शुरुआत करेगी। लोकसबा चुनाव के रण में दिग्गज नेता उतरेंगे।
इसके पीछे की वजह समाजवादी मानते हैं कि सपा का वोट तो बसपा को ट्रांसफर हुआ, पर इसका उल्टा नहीं हुआ। नतीजतन, बलिया और चंदौली सीट वे बहुत ही कम मतों के अंतर से हारे। बसपा का जमीन पर साथ मिला होता तो बांदा, कौशाम्बी, राबर्ट्सगंज में परिणाम कुछ और ही होते। यहां सपा क्रमशः 58983, 38722 और 54336 मतों से हारी थी।
अखिलेश यादव के विधायक चुने जाने के बाद आजमगढ़ में हुए उपचुनाव में सपा ने पूर्वांचल की एकमात्र सीट भी खो दी। अब पार्टी का प्रयास है कि वह पूर्वांचल में शून्य से शिखर पर पहुंचे। बलिया, चंदौली, वाराणसी, आजमगढ़, मऊ, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, महराजगंज और बस्ती समेत सभी जिलों में कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर लगाए जाएंगे।
सपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री रामगोविंद चौधरी कहते हैं कि पिछले चुनाव में हमारे भरोसे को तोड़ा गया। हमारे मतदाता तो बसपा प्रत्याशी के साथ जुड़ गए, पर बसपा का वोट हमें ट्रांसफर नहीं हुआ। इतना ही नहीं सपा-बसपा गठबंधन के लिए सपा ने उदारता दिखाई, पर इस गठबंधन के तहत हमारे हिस्से वो सीटें आईं जो कम संभावना से भरी थीं।