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कोरोना महामारी के बाद कर्ज पुनर्गठन होने से निजी बैंकों के ऋण के एनपीए होने और बट्टे खाते में जाने के मामले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की तुलना में करीब दोगुने बढ़ गए हैं। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, निजी बैंकों के कर्ज के एनपीए बनने और बट्टा खाते वाले ऋणों का अनुपात 44 फीसदी हो गया। सरकारी बैंकों में यह अनुपात सिर्फ 23 फीसदी है। एजेंसी ने कहा, 2022-23 में बैंकों के सालाना नतीजों के अध्ययन से यह जानकारी मिली है। यह रुझान ‘आश्चर्यजनक’ है। रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर, 2022 में कर्जों के पुनर्गठन की संपत्तियां शीर्ष पर पहुंच गई थीं। इस समय कुल 2.2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज पुनर्गठित किया गया था।
सरकारी बैंकों के बुरे फंसे कर्ज में 9 फीसदी सुधार
एजेंसी ने कहा, बुरे फंसे कर्ज (एनपीए) के मोर्चे पर बैंकों का प्रदर्शन सुधर रहा है। 10 वर्षों में बैंकों ने पिछले वित्त वर्ष में एनपीए के मोर्चे पर सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है, जहां सकल एनपीए घटकर 4 फीसदी पर आ गया है। पिछले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों का सकल एनपीए 9 फीसदी घटकर 5 फीसदी रह गया।
गोल्ड बॉन्ड की पहली किस्त 19 जून से
उधर, सरकारी गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) योजना 2023-24 की पहली किस्त सोमवार यानी 19 जून से शुरू हो रही है। इसके लिए सोने का निर्गम मूल्य 5,926 रुपये प्रति ग्राम तय किया है। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, पहली किस्त में गोल्ड बॉन्ड की खरीदारी 23 जून तक की जा सकेगी। बॉन्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करने वाले और डिजिटल माध्यम से भुगतान करने वाले निवेशकों को खरीद पर 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट मिलेगी।
एसबीआई ने 5,740 करोड़ का दिया लाभांश
एसबीआई ने 2022-23 के लिए सरकार को 5,740 करोड़ रुपये के लाभांश का भुगतान कर दिया है। यह बैंक की ओर से सरकार को दिया गया अब तक का सबसे अधिक लाभांश है। एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने शुक्रवार को लाभांश का चेक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंप दिया। 2022-23 के दौरान बैंक का शुद्ध लाभ 59 फीसदी बढ़कर 50,232 करोड़ पहुंच गया।