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एससीओ सम्मेलन में भागीदारी के तरीके तलाश रहा था पाक, भारत ने आभासी बैठक की घोषणा कर दी

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बिलावल ने कहा कि पाकिस्तान एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन), संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय संगठनों के माध्यम से भारत के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान एससीओ की बैठक में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए तरीकों की तलाश कर रहा था, लेकिन भारत ने आभासी बैठक आयोजित करने की घोषणा कर दी। बिलावल एक थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज इस्लामाबाद (आईएसएसआई) की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।

बिलावल ने कहा, मुझे एससीओ-सीएफएम (SCO-CFM) में भाग लेने के लिए इस साल गोवा जाने का मौका मिला। भारत में जल्द ही एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक होने वाली है। पाकिस्तान अभी एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री (शरीफ) की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए माध्यम तलाश ही रहा था, तभी भारत ने शिखर सम्मेलन को आभासी रूप से आयोजित करने की घोषणा कर दी।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन), संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय संगठनों के माध्यम से भारत के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान परस्पर सम्मान और संप्रभु समानता के आधार पर भारत के साथ सहयोगात्मक और अच्छे पड़ोसियों वाले संबंध बनाए रखने के लिए भी प्रतिबद्ध है। बता दें कि भारत ने इस महीने की शुरुआत में एससीओ की चार जुलाई को होने वाले शिखर सम्मेलन के आभासी रूप से आयोजित करने की घोषणा की थी।

गौरतलब है कि भारत एससीओ के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। भारत ने इस साल मई में गोवा में दो दिवसीय सम्मेलन में एससीओ के विदेश मंत्रियों की मेजबानी की थी। एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा गुट है और सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।

एससीओ की स्थापना रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा 2001 में शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में की गई थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में स्थायी सदस्य बने। भारत को 2005 में एससीओ में एक पर्यवेक्षक बनाया गया था और आम तौर पर समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भाग लिया था, जो मुख्य रूप से यूरेशियन क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित था।

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