यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस आर्थिक पतन को रोकने में कामयाब रहा है. फरवरी से शुरू हुए पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंधों से रूस को काफी नुकसान हुआ है.
शुरुआती झटके ने रूस में शेयर बाजार को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए मजबूर कर दिया था. अपने पैसे को लेकर चिंतित एटीएम के बाहर लोगों की लंबी लंबी लाइनें देखी गई थीं.
हालांकि रूस के केंद्रीय बैंक के प्रबंधन के चलते रूस की मुद्रा रूबल युद्ध से पहले के स्तर पर लौट आई है.
केंद्रीय बैंक ने विदेशों में पैसा भेजने की सीमा को सीमित कर दिया. इसके साथ ही बैंक ने निर्यात करने वाली फर्मों को भी मजबूर किया कि वे 80 प्रतिशत आय का पैसा डॉलर की बजाय रूबल में लें. इसके साथ ही रूस अपने विदेशी कर्जों में चूक से बचने में भी कामयाब रहा है.
राष्ट्रपति पुतिन ने जोर देकर कहा कि पश्चिम की तरफ से आर्थिक मोर्चे पर चोट पहुंचाने के लिए गए हमले विफल हो गए हैं.
लेकिन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंटरनेशनल फ़ाइनेंस की उप मुख्य अर्थशास्त्री एलिना रिबाकोवा का कहना है कि ये सतही संकेत हैं जो वास्तविक जीवन के लिए बहुत मायने नहीं रखते हैं.
रूसी इस्पात निर्माता, केमिकल निर्माता और कार कंपनियों तक युद्ध की आंच पहुंच रही है. यानी ये कंपनियां पश्चिम के लगाए प्रतिबंधों का खामियाजा भुगत रही हैं.
रूस के केंद्रीय बैंक ने 13 हजार से अधिक व्यवसायों का सर्वे किया है. इससे पता चलता है कि कई लोगों को माइक्रोचिप्स, कार के पुर्जे, पैकेजिंग, यहां तक कि बटन जैसे सामान को देश में लाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
कच्चे माल और पुर्जों की कमी कुछ व्यवसायों को अपना काम बंद करने के लिए मजबूर कर रही हैं.
उदाहरण के लिए, जापानी कार निर्माता टोयोटा ने रूस को कारों का आयात रोक दिया है. इसके साथ ही सप्लाई चेन में खराबी का हवाला देकर टोयोटा ने मार्च महीने में ही सेंट पीटर्सबर्ग के अपने प्लांट में कामकाज बंद कर दिया था.
ब्लूबे एसेट मैनेजमेंट के अर्थशास्त्री टिमोथी ऐश का कहना है कि सभी प्रतिबंधों को देखें तो ये लोगों की उम्मीद से कहीं अधिक भारी हैं.
बीबीसी से बातचीत में टिमोथी ऐश कहते हैं, “लंबे समय में इसके प्रभाव विनाशकारी होंगे. रूस को पश्चिम की सप्लाई चेन से काट दिया जा रहा है क्योंकि रूस पर पश्चिम को भरोसा नहीं है. ऐसे स्थिति में ये प्रतिबंध रूस को मंदी में धकेल देंगे.”
यहां तक कि बैंक ऑफ रूस ने भी स्वीकार किया है कि कंपनियों के सामान के लिए अलग-अलग सलाइयर की तलाश करना, शिपिंग कंपनियों का सामान भेजने से मना करना, अपनी जरूरत की तकनीक नहीं मिलने से देश को ‘रिवर्स औद्योगीकरण’ के दिनों का सामना करना पड़ेगा.
अर्थशास्त्री टिमोथी ऐश कहते हैं, “वास्तविकता यह है कि रूस के पास वित्तीय बाजारों तक सीमित पहुंच, ग्रोथ और जीवन स्तर में कमी होगी.”
रूसी नागरिक रिबाकोवा कहती हैं कि खासकर जब सुरक्षित नौकरी की बात आती है तो हम अनिश्चित समय में रह रहे हैं. “बहुत से लोगों को पता नहीं है कि क्या होने जा रहा है. वे अभी भी रेस्तरां जा रहे हैं, काम पर जा रहे हैं और अभी तक बहुत अधिक बदलाव नहीं देख रहे हैं क्योंकि वे जिन कंपनियों के लिए काम करते हैं वे उनकी योजनाओं के बारे में साफ नहीं हैं.”
बढ़ती कीमतों से मुश्किल में जीवन
30 साल की ओल्गा मॉस्को बैंक की कर्मचारी हैं. वह युद्ध से पहले के जीवन स्तर को बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं लेकिन यह लगातार मुश्किल होता जा रहा है.
कई रूसियों की तरह ओल्गा मॉस्को को यूरोप में रहने वाले उसके एक दोस्त से नेटफ्लिक्स और स्पॉटिफ़ का रिचार्ज करने के लिए कहना पड़ता है, क्योंकि वीजा और मास्टरकार्ड ने अपनी सेवाएं रूस में बंद कर दी हैं.
इस महीने की शुरुआत में, ओल्गा ने तुर्की के लिए छुट्टी पर जाने के लिए एक फ्लाइट बुक की है. तुर्की उन कुछ देशों में है जहां के लिए फ्लाइट्स अभी भी चल रही हैं.
युद्ध से पहले हवाई जहाज की टिकट 15 हजार रूबल होती थी लेकिन अब उन्हें उसी टिकट के लिए 55 हजार रूबल देने होंगे.
ओल्गा प्रार्थना कर रही हैं कि रूस के बाहर वे अपने आईफोन और मैकबुक लैपटॉप को अपडेट करवा पाएंगी, क्योंकि एपल ने भी देश में अपनी सेवाएं बंद कर दी हैं.
ऐसी ही मुश्किलों का सामना 79 साल की ल्यूडमिला को करना पड़ रहा है. ल्यूडमिला रूस की राजधानी मास्को से 500 किलोमीटर दूर दक्षिण के एक शहर वोरोनिश में रहती हैं. वोरोनिश के लिए बुनियादी जरूरतें जरूर से ज्यादा महंगी हो गई हैं. वे बताती हैं, मैं हफ्ते में एक बार बाजार जाती हूं. हर बार चीजें पहले से महंगी हो जाती हैं. पिछली बार दूध की कीमत में पांच रूबल और टमाटर में 10 रूबल की बढ़ोतरी हुई थी.
33 साल के दिमित्री साइबेरिया के छोटे से शहर रूबत्सोवस्क के रहने वाले हैं. युद्ध से पहले एक अच्छी जिंदगी जी रहे थे और एक दिन में करीब 300 रूबल खर्च करते थे. 24 फरवरी यानी जब से युद्ध शुरू हुआ है उसके बाद से खर्च में 50 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है.
आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, दिमित्री युद्ध का समर्थन करते है. उनका कहना है कि उसके कुछ दोस्त कीमतों के बारे में शिकायत करते हैं और यह भी कि सिनेमाघरों में कोई भी पश्चिमी ब्लॉकबस्टर फिल्म देखना संभव नहीं है.
सब कुछ के बावजूद, ज्यादातर रूसी अभी भी इस युद्ध का मजबूती से समर्थन करते हैं. सरकार के प्रचार से भरा टीवी सेट अभी भी एक खाली फ्रिज से अधिक शक्तिशाली है.
मैकडॉनल्ड्स और लेवाइस जैसे पश्चिमी ब्रांड देश में अपना कामकाज रोकने के बावजूद हजारों रूसी कर्मचारियों को भुगतान कर रहे हैं. लेकिन ऐसी आशंकाएं हैं कि लोगों की नौकरियां जाएंगी क्योंकि यूक्रेन में युद्ध खत्म जल्द खत्म होनी उम्मीदें फीकी पड़ रही हैं.
मॉस्को के मेयर सर्गेई सोबयानिन ने अप्रैल में चेतावनी दी थी कि अकेले शहर में लगभग 2 लाख नौकरियां खतरे में थी, जबकि ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स का अनुमान है कि 2024 तक पूरे रूस में बेरोजगारी दर बढ़कर 7 प्रतिशत हो सकती है. इसके अलावा आईटी कर्मचारियों और दूसरे कामों में लगे लोगों ने बड़े स्तर पर पलायन किया है. जिसे अर्थशास्त्री टिमोथी ऐश “ब्रेन ड्रेन” की तरह बताते हैं.
कई कंसल्टेंसी ने काम करने वालों को रूस से बाहर निकाल लिया है. लातविया स्थित स्वतंत्र रूसी समाचार वेबसाइट मेडुज़ा की रिपोर्ट में कहा गया है कि यांडेक्स के 5 हजार कर्मचारियों ने रूस छोड़ दिया है. जो लोग रह गए हैं उनके लिए गुजारा करना काफी मुश्किल है.
टिमोथी ऐश कहते हैं कि ऐसा माना जाता है, “रूसियों को कठिन परिस्थितियों की आदत होती है लेकिन वे 20 साल से समृद्धि में जी रहे थे. अच्छा जीवन क्या होता है वे उसे जानते हैं.”
जब युद्ध शुरू हुआ था तब खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाले तेल जैसी चीजों की कमी को लेकर खबरें थीं लेकिन अब सुपरमार्केट में चीजों को अच्छी तरह से स्टॉक कर लिया गया है. फर्क बस इतना है कि ये चीजें अब पहले से महंगी हैं.
महामारी के मद्देनज़र कई देश बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं.
लेकिन सिकुड़ती अर्थव्यवस्था और सप्लाई चेन बाधित होने की स्थिति में अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि 2022 में रूस की मुद्रास्फीति को कम-से-कम 20 प्रतिशत का नुकसान होगा.
टिमोथी ऐश और रिबाकोवा उन दोस्तों को याद करते हैं हैं जो दिल या थायराइड की दवा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वे कहते हैं कि इसका सबसे अधिक प्रभाव गरीब रूसियों पर पड़ेगा.
राष्ट्रपति पुतिन ने वादा किया है कि कि संघर्षरत लोगों के लिए पेंशन और बेरोजगारी लाभ मुद्रास्फीति के हिसाब से बढ़ेंगे.
इतने बड़े स्तर पर लगे प्रतिबंधों के बावजूद रूस की सरकार के पास वित्तीय संकट से बचने के लिए व्यवस्था है. जो किसी जीवन रेखा से कम नहीं है. रूस अभी भी बहुत सारा तेल और गैस दुनिया भर में बेच रहा है जो इस देश की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है.
रूस के केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, उसने 2022 के पहले तीन महीनों में 58.2 अरब डॉलर की वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात किया है, जो रूस के आयात से ज्यादा है. वैश्विक स्तर पर बढ़ती ऊर्जा कीमतों से रूस को फायदा हुआ है.
हालांकि अमेरिका ने रूस से ऊर्जा आयात करने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, फिर भी यूरोप इस बात पर अलग अलग है कि रूस की आपूर्ति पर निर्भरता को कैसे कम किया जाए.
यूरोप को अपनी प्राकृतिक गैस का लगभग 40 प्रतिशत रूस से मिलता है. वहीं रूस यूरोप को तेल भी बेचता है. यूरोप के कुछ देश दूसरों की तुलना में रूसी जीवाश्म ईंधन पर ज्यादा निर्भर है. इसलिए अचानक आपूर्ति में कटौती करने का इन देशों पर बड़ा आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है.
एसईबी बैंक के साथ जुड़े ऊर्जा विश्लेषक ओले ह्वाल्बी का कहना है, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि यूरोप के लिए रूसी तेल और गैस से दूर जाने पर कुछ साल मुश्किल भरे होंगे लेकिन ये रूस की अर्थव्यवस्था के लिए भविष्य में काफी नुकसानदायक होगा.”
अर्थशास्त्री टिमोथी ऐश कहते हैं, “रूस के लिए कुछ समय के लिए गरीब लोगों को सब्सिडी देना और रूबल को खड़ा रखने के लिए पर्याप्त वित्तीय मजबूती हो सकती है लेकिन भविष्य में ये काफी अनिश्चित है.”