असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच फैली इस परियोजना से देश को कुल 2,000 मेगावाट बिजली मिलेगी। इसकी कुल आठ इकाइयां हैं, जिन्में प्रत्येक की क्षमता 250 मेगावाट है।
भारत ने चीन सीमा के पास सुबनसिरी लोअर हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना का काम पूरा कर लिया है। यह एक बड़ी जलविद्युत परियोजना है, जिस पर पिछले 20 वर्षों से काम चल रहा है। भारत के ऊर्जा परिवर्तन में यह अहम कदम है। सरकारी कंपनी नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (एनएचपीसी) लि. जुलाई से इसकी पहली इकाई का परीक्षण शुरू करेगी और इस वर्ष दिसंबर से इसे ग्रिड से जोड़ना शुरू किया जाएगा।असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच फैली इस परियोजना से देश को कुल 2,000 मेगावाट बिजली मिलेगी। इसकी कुल आठ इकाइयां हैं, जिन्में प्रत्येक की क्षमता 250 मेगावाट है। एनएचपीसी के वित्त निदेशक राजेंद्र प्रसाद गोयल ने दावा किया कि योजना की सभी आठ इकाइयों को दिसंबर 2024 तक संचालन योग्य बना दिया जाएगा।
2011 में लग गई थी रोक
गोयल के मुताबिक, 2011 में परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिलने की वजह से रोक दिया गया था। आठ वर्ष बाद 2019 में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने इसे मंजूरी दी। इस तरह से परियोजना का 90 फीसदी से ज्यादा काम बीते 5 वर्ष में ही हुआ है। किसी भी जलविद्युत परियोजना का निर्माण शुरू करने के लिए 40 से ज्यादा विभागों व मंत्रालयों से मंजूरी लेनी होती है। इसके हर स्तर की जांच होती है, जिसकी वजह से यह परियोजनाएं लंबे समय तक अटकी रहती हैं