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पीएम मोदी को लिखे पत्र को लेकर BJP सांसदों ने खरगे की आलोचना की, कहा- बयानबाजी ज्यादा, तथ्य कम

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इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि रेलवे को बुनियादी तौर पर मजबूत करने के बजाय खबरों में बने रहने के लिए ऊपरी तौर पर ही बदलाव किए जा रहे हैं।

ओडिशा में हुआ रेल हादसा देश में हुए सबसे बड़े रेल हादसों में से एक है। यही वजह है कि इस हादसे को लेकर राजनीति भी जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा और तेजस्वी सूर्य सहित कर्नाटक के चार भाजपा सांसदों ने शुक्रवार को बालासोर ट्रेन दुर्घटना के सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को एक पत्र लिखा। इससे पहले पांच जून को खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मोदी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए थे। पत्र लिखने वाले भाजपा सांसदों में तेजस्वी सूर्या, पीसी मोहन, एस मुनिस्वामी और सदानंद गौड़ा शामिल हैं।

खरगे के पत्र में बयानबाजी ज्यादा, तथ्य कम: भाजपा सांसद
भाजपा सांसदों ने इस पत्र में खरगे द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए पत्र की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने तर्क दिया कि खरगे का पत्र “बयानबाजी ज्यादा और कम तथ्यों पर आधारित है।” पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आपके द्वारा लिखे गए पत्र के जवाब में हमें यह कहना है कि आपके पत्र में राजनीतिक बयानबाजी ज्यादा है, आपने जो सवाल उठाए हैं उसमें तथ्यों की कमी है। एक पूर्व रेल मंत्री होने के नाते आपसे गहराई और समझ को दिखाने की आशा की जाती है, फिर भी हमारे साथ आपका हाल ही में किया गया पत्र-व्यवहार तथ्यपरक सुझाव नहीं देते हैं। इसलिए, हम आपके लिए वास्तविकता के साथ आपके अनुमानों के तथ्यात्मक जवाब दे रहे हैं।

रेलवे में नियक्तियों की कमी को किया खारिज
सबसे पहले रेलवे में की जा रही भर्ती के बारे में आपको बताना चाहते हैं कि पिछले नौ वर्षों में रेलवे में 4.58 लाख नियुक्तियां की गई हैं और वर्तमान में लगभग 1.52 लाख को नियुक्त करने की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। इस प्रकार 10 वर्षों में हमने 6.1 लाख से अधिक की नियुक्ति करने जा रहे हैं, जो यूपीए के 4.11 लाख उम्मीदवारों की नियुक्ति से लगभग 50 फीसदी अधिक है। साथ ही 5,518 नए सहायक लोको पायलट नियुक्त किए गए हैं, जो इस क्षेत्र की उपेक्षा करने के आपके आरोपों को खारिज करते हैं।

व्हाट्सएप विश्वविद्यालय से तथ्य लेकर आरोप न लगाए कांग्रेस
पत्र में कहा गया है कि आपने फरवरी 2023 की जिस घटना का जिक्र किया है, उसकी रेलवे ने गहनता से जांच की थी। जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी और रखरखाव के सख्त कार्यान्वयन पर सभी कर्मियों की काउंसलिंग की गई थी। यह भी ध्यान दिया जाए कि जैसा कि आपके पत्र में कहा गया है, मैसूर में कोई टक्कर नहीं हुई थी। आपके कद के नेता को “व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी” से प्राप्त तथ्यों के आधार पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखना शोभा नहीं देता। लेकिन शायद “व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी” के वाइस चांसलर के तौर पर आपको फेक न्यूज को तथ्य के तौर पर गढ़ने के लिए मजबूर किया गया है।

आपने रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है और आपको पता होना चाहिए कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त (Commissioner of Railway Safety) एक स्वतंत्र और वैधानिक प्राधिकरण है, हाल ही में 2022 में सीआरएस के पद को शीर्ष स्तर पर अपग्रेड करके आयोग को और मजबूत किया गया था।

कैग रिपोर्ट के दावे में भी अधूरे आंकड़े दिए
भाजपा सांसदों ने कहा, कांग्रेस ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि बजट में आवंटित राशि का उचित उपयोग नहीं किया गया जबकि भाजपा के कार्यकाल में महत्वपूर्ण सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिए राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK) की स्थापना की गई। रेलवे ने आरआरएसके पर एक लाख करोड़ से अधिक रुपये 2017-18 और 2021-22 के बीच खर्च किए। यही नहीं फरवरी 2022 में सरकार ने आरआरएसके को 2022-23 से शुरू होते हुए पांच साल का विस्तार भी दिया। पिछले नौ वर्षों में हमारा कुल सुरक्षा व्यय 1,78,012 करोड़ रुपये है, जो आपके कार्यकाल के खर्च का 2.5 गुना है। यह दिलचस्प है कि यूपीए के 10 वर्षों के दौरान इतना खराब प्रदर्शन करने के बाद भी रेल सुरक्षा पर हमें व्याख्यान देने का आपमें विश्वास कैसे आता है।

पत्र में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि हम इस बात से चकित हैं कि कांग्रेस पार्टी टक्कर-रोधी डिवाइस (Anti-Collision device) के बारे में कितनी गंभीरता से बोलती है। अगर आपकी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकारों ने इस पर उतनी ही गंभीरता से काम किया होता जितना आप इसके बारे में बोलते हैं, तो इसे आपके (गलत) शासन के छह दशकों में पूरे देश में लगाया जा सकता था।

रेलवे सुरक्षा आयुक्त कर रहे हादसे की जांच
खरगे के सीबीआई से जांच कराने के विरोध पर भाजपा सांसदों ने कहा, हादसे की जांच तो रेलवे सुरक्षा आयुक्त ही कर रहे हैं। सीबीआई तो घटना के बड़े निहितार्थ की जांच कर रही थी। इसी तरह रेलवे में तीन लाख खाली पदों के सवाल पर भाजपा सांसदों ने कहा, पिछले नौ वर्षों में रेलवे ने छह लाख युवाओं को नौकरी दी है। यही नहीं 5518 नव नियुक्त लोको पायलटों ने स्वयं खरगे के आरोपों को खारिज किया है।

नौ साल में मोदी सरकार के प्रयासों से रेलवे को नई शक्ति मिली
रेलवे का बजट हर साल घटने के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए पर भाजपा सांसदों ने कहा, नौ साल के हमारे प्रयासों ने रेलवे को नई शक्ति प्रदान की है। विद्युतीकरण में रिकॉर्ड प्रगति हुई है। वंदे भारत ट्रेनें शुरू की गई हैं और यात्रा के अनुभव को पूरी तरह से बदल दिया है। लगभग 1,275  स्टेशनों को आधुनिक सुविधाओं के साथ  पुनर्विकास किया जा रहा है।

  • सुरक्षा को लेकर कांग्रेस के आरोपों के जवाब में भाजपा सांसदों ने कहा, रेलवे के सुरक्षा रिकॉर्ड अलग ही तस्वीर दिखाते हैं। इससे पता चलता है कि दुर्घटनाएं 2013-24 में 0.10 प्रति मिलियन ट्रेन किमी से लगभग तीन गुना कम होकर 2022-23 में 0.03 प्रति मिलियन ट्रेन किमी हो गई हैं। मोदी सरकार सिर्फ बेहतर  रेलवे की उम्मीद नहीं कर रही है, इसे सक्रिय रूप से बेहतर बना भी रही है।
  • खरगे ने पत्र में उठाए थे ये गंभीर सवाल

    कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि रेलवे को बुनियादी तौर पर मजबूत करने के बजाय खबरों में बने रहने के लिए ऊपरी तौर पर ही बदलाव किए जा रहे हैं। खरगे ने आरोप लगाया था कि लगातार गलत फैसलों की वजह से रेल का सफर असुरक्षित बन गया है। खरगे ने आरोप लगाया था कि रेलवे में तीन लाख पद खाली हैं। पूर्वी तट रेलवे में, जहां ये हादसा हुआ, वहां भी 8,278 पद खाली हैं। खरगे ने दावा किया था कि कई वरिष्ठ पदों पर भी तैनाती नहीं हुई हैं। खरगे ने सवाल किया कि बीते नौ सालों में इन रिक्तियों को क्यों नहीं भरा गया?

    खरगे ने पत्र में लिखा, रेलवे बोर्ड खुद इस बात को स्वीकार कर चुका है कि लोको पायलट्स पर काम का दबाव ज्यादा है क्योंकि कर्मचारियों की कमी की वजह से उन्हें कई घंटे अतिरिक्त काम करना पड़ता है। खरगे ने कहा कि लोको पायलट रेल सुरक्षा के लिए अहम होते हैं, ऐसे में उनकी रिक्तियां क्यों नहीं भरी जा रहीं?

    कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया था कि आठ फरवरी 2023 को मैसूर में हुए हादसे के बाद साउथ वेस्ट जोनल रेलवे के संचालन अधिकारी ने रेलवे के सिग्नल सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत बताई थी, लेकिन उस चेतावनी को रेल मंत्रालय ने क्यों दरकिनार किया? पीएम मोदी को लिखे पत्र में कांग्रेस नेता ने लिखा कि कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी की सलाह को रेलवे बोर्ड ने दरकिनार किया। जांच में पता चला है कि 8-10 प्रतिशत रेल हादसों की ही कमीशनर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) द्वारा जांच की गई है। खरगे ने पूछा था कि सीआरएस को मजबूत और स्वायत बनाने की दिशा में कदम क्यों नहीं उठाए गए?

    खरगे ने आरोप लगाया कि ट्रैक के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया। खरगे ने सवाल किया कि रेल बजट को आम बजट में क्यों मिलाया गया? खरगे ने कहा कि इससे रेलवे की स्वायतता प्रभावित हुई और उसके फैसले लेने की क्षमता भी प्रभावित हुई है।

    सीबीआई जांच पर भी उठाए थे सवाल
    कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने सवाल किया था कि जब रेल मंत्री कह चुके हैं कि ओडिशा रेल हादसे का मूल कारण पता चल गया है तो फिर सीबीआई जांच क्यों की जा रही है? खरगे ने कहा कि रेलवे में तकनीकी, सेफ्टी, सिग्नलिंग के विशेषज्ञों की कमी है। खरगे ने कहा था कि आपराधिक मामलों में जांच एजेंसियां जांच करती हैं, लेकिन रेल हादसा एक तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक असफलता है और सीबीआई जांच से इस मामले में जवाबदेही तय नहीं की जा सकती।

    बता दें कि शुक्रवार (दो जून) शाम को ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के बीच टक्कर हुई थी। इस हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई है और 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। यह देश के सबसे बड़े रेल हादसों में से एक है।

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