माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की खुलेआम हत्या से बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी भी खौफ में था। मुख्तार ने जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी कराने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखा था। माफिया अतीक अहमद व उसके भाई की खुलेआम हत्या से बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी भी खौफजदा था। इसके बाद मुख्तार के अधिवक्ता ने कोर्ट में प्रार्थना-पत्र दिया था। इसमें मुख्तार की जान को खतरा बताते हुए वीडियो कान्फ्रेंसिंग से ही मुकदमों की पेशी कराने की गुहार लगाई थी।
बताते हैं कि बांदा जेल के तत्कालीन कारागार अधीक्षक बीरेंद्र कुमार के अवकाश पर जाने पर कई बार संतोष कुमार को बांदा जेल में जेलर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। बांदा जेल में मुलाकात के बाद संतोष कुमार मुख्तार के बेहद करीबी हो गए।
बांदा में उन्होंने मुख्तार को जेल मैनुअल के विपरीत कई सुविधाएं दीं। तत्कालीन जिलाधिकारी ने जेल में छापेमारी की तो मुख्तार की बैरक में बाहर से मंगाया खाना आदि सामान मिला था। इसे गंभीरता से लेते हुए शासन ने एक डिप्टी वीरेश्वर सहित चार बंदी रक्षकों को निलंबित कर दिया था।
अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद
इस फैसले के साथ ही तय हो गया कि अब माफिया मुख्तार अंसारी को ताउम्र जेल में ही रहना होगा। इससे पहले दिल्ली, लखनऊ और गाजीपुर की अदालतें भी मुख्तार अंसारी को सजा सुना चुकी हैं। जानकारी मुताबिक, तीन अगस्त 1991 को चेतगंज थाने से लगभग सौ मीटर की दूरी पर स्थित घर के दरवाजे पर ही अंधाधुंध गोलियां बरसाकर अवधेश राय की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी।
हाथ जोड़ कर सिर झुकाए खड़ा रहा मुख्तार
बुजुर्ग और बीमार है मुख्तार, मिले न्यूनतम दंड
एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोपहर 12:05 बजे मुख्तार को दोषी ठहराया, फिर लंच के बाद सजा सुनाने का एलान किया। अदालत ने लगभग सवा दो बजे मुख्तार अंसारी को उम्र कैद की सजा सुनाई तो कोर्ट परिसर हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा। कोर्ट रूम से बाहर निकलने के दौरान मामले के मुख्य गवाह अजय राय ने अदालत की चौखट पर मत्था टेका और कहा कि तीन दशक से ज्यादा लंबे संघर्ष के बाद सत्य और न्याय की जीत हुई है। इसलिए न्यायपालिका को दंडवत प्रणाम कर हृदय से आभार जताया है।
अवधेश राय हत्याकांड में फैसला 31 वर्ष 10 महीने दो दिन बाद फैसला है। इस पर पीड़ित अवधेश राय की बेटी हनी ने खुशी जाहिर की। उन्होंने दिवंगत पिता के चित्र पर माल्यार्पण किया। साथ ही कहा कि बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया था। अदालत का फैसला स्वागतयोग्य है।
तीन अगस्त 1991: अवधेश राय की हत्या और चेतगंज थाने में एफआईआर
12 अक्तूबर 1991: अदालत में आरोप पत्र पेश किया गया
18 मई 1995: मुख्तार अंसारी को जमानत मिली
10 सितंबर 2007: आरोपों पर विचार करने की प्रक्रिया शुरू हुई।
16 नवंबर 2007: साक्ष्य मुहैया कराने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।
22 मई 2023: सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा
5 जून 2023: एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाया