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अतीक और अशरफ की हत्या से डर गया था बाहुबली मुख्तार, पेशी पर जाने में बताया था जान का खतरा

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माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की खुलेआम हत्या से बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी भी खौफ में था। मुख्तार ने जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी कराने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखा था। माफिया अतीक अहमद व उसके भाई की खुलेआम हत्या से बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी भी खौफजदा था। इसके बाद मुख्तार के अधिवक्ता ने कोर्ट में प्रार्थना-पत्र दिया था। इसमें मुख्तार की जान को खतरा बताते हुए वीडियो कान्फ्रेंसिंग से ही मुकदमों की पेशी कराने की गुहार लगाई थी।

इसके बाद से उसकी पेशी बांदा जेल प्रशासन वीडियो काफ्रेंसिंग से कराता आ रहा है। सोमवार को भी सजा का फैसला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुना था। यही नहीं मुख्तार का दखल बांदा जेल से चित्रकूट जेल में भी था। इसका खुलासा पिछले वर्ष विधायक बेटे अब्बास अंसारी और निखत के चित्रकूट जेल में मुलाकात मामले में गिरफ्तार जेलर संतोष कुमार ने किया था।
बताते हैं कि बांदा जेल के तत्कालीन कारागार अधीक्षक बीरेंद्र कुमार के अवकाश पर जाने पर कई बार संतोष कुमार को बांदा जेल में जेलर का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। बांदा जेल में मुलाकात के बाद संतोष कुमार मुख्तार के बेहद करीबी हो गए।
बांदा में उन्होंने मुख्तार को जेल मैनुअल के विपरीत कई सुविधाएं दीं। तत्कालीन जिलाधिकारी ने जेल में छापेमारी की तो मुख्तार की बैरक में बाहर से मंगाया खाना आदि सामान मिला था। इसे गंभीरता से लेते हुए शासन ने एक डिप्टी वीरेश्वर सहित चार बंदी रक्षकों को निलंबित कर दिया था।

अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद

आपको बता दें कि विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने सोमवार को करीब 32 वर्ष पुराने अवधेश राय हत्याकांड के मामले में माफिया मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने उस पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर मुख्तार को छह महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
मुख्तार ने अब तक जेल में जो समय बिताया है, वह आजीवन कारावास की सजा में समायोजित हो जाएगी। अदालत ने बांदा के जेल अधीक्षक को निर्देशित किया और कहा कि अवधेश राय की हत्या से जुड़े मामले में अभियुक्त मुख्तार अंसारी जमानत पर है। उसकी जमानत निरस्त की जाती है। उसे तत्काल न्यायिक अभिरक्षा में लिया जाए।
इस फैसले के साथ ही तय हो गया कि अब माफिया मुख्तार अंसारी को ताउम्र जेल में ही रहना होगा। इससे पहले दिल्ली, लखनऊ और गाजीपुर की अदालतें भी मुख्तार अंसारी को सजा सुना चुकी हैं। जानकारी मुताबिक, तीन अगस्त 1991 को चेतगंज थाने से लगभग सौ मीटर की दूरी पर स्थित घर के दरवाजे पर ही अंधाधुंध गोलियां बरसाकर अवधेश राय की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी।
बदमाश बिना नंबर प्लेट की सफेद रंग की मारुति वैन से आए थे। परिजन अवधेश को लेकर अस्पताल गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। इस मामले में अवधेश राय के छोटे भाई अजय राय की तहरीर के आधार पर चेतगंज थाने की पुलिस ने मुख्तार अंसारी, भीम सिंह, राकेश न्यायिक, कमलेश सिंह और पूर्व विधायक अब्दुल कलाम के अलावा एक अज्ञात के खिलाफ हत्या और बलवा सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया था।
मुकदमे के ट्रायल के दौरान ही कमलेश सिंह और पूर्व विधायक अब्दुल कलाम की मौत हो गई। भीम सिंह और राकेश न्यायिक की पत्रावली इलाहाबाद की अदालत में लंबित है। मुख्तार अंसारी के प्रकरण में अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस पूरी होने के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने बीते 22 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। अब सोमवार को सजा सुनाई गई है।
कोर्ट ने मामले को दुर्लभतम नहीं माना, 104 पेज में दिया फैसला
एमपी-एमएलए कोर्ट ने 104 पेज के फैसले में कहा कि अभियुक्त के खिलाफ हत्या का अपराध साबित हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए अदालत ने कहा है कि दुर्लभ से दुर्लभतम प्रकरण में ही मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है। यह प्रकरण दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता है। अदालत में अभियोजन की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विनय कुमार सिंह और वादी के अधिवक्ता अनुज यादव ने पक्ष रखा।
हाथ जोड़ कर सिर झुकाए खड़ा रहा मुख्तार
अवधेश राय हत्याकांड का फैसला सुनाने के दौरान मुख्तार अंसारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दो बार पेश हुआ। वह बांदा की जेल में बंद है। अदालत में मौजूद अधिवक्ताओं के मुताबिक, दोषी करार दिए जाने और सजा सुनाने के दौरान मुख्तार अंसारी हाथ जोड़ कर और सिर झुकाए खड़ा रहा। वह थका हुआ सा दिख रहा था। दोषी करार दिए जाने से पहले उसने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उसे राजनीतिक रंजिश में फंसाया गया है। वहीं, सजा सुनाए जाने के दौरान मुख्तार ने वर्ष 2005 से अब तक जेल में बिताई गई लंबी अवधि, बीमारी और अपनी अधिक उम्र का हवाला दिया। अदालत से विनती किया कि उसे कम से कम दंड से दंडित किया जाए।
बुजुर्ग और बीमार है मुख्तार, मिले न्यूनतम दंड
अदालत में मुख्तार के अधिवक्ता आदित्य वर्मा ने कहा कि अभियुक्त बुजुर्ग और बीमार है। अभियुक्त को न्यूनतम दंड से दंडित किया जाए। वहीं, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विनय कुमार सिंह ने कहा कि अभियुक्त का लंबा आपराधिक इतिहास है। अवधेश राय की हत्या दिनदहाड़े किया जाना साबित है और यह दुर्लभ से दुर्लभतम केस की श्रेणी में आता है। ऐसे में अभियुक्त को अधिकतम दंड से दंडित किया जाए।
गूंजा हर-हर महादेव
एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोपहर 12:05 बजे मुख्तार को दोषी ठहराया, फिर लंच के बाद सजा सुनाने का एलान किया। अदालत ने लगभग सवा दो बजे मुख्तार अंसारी को उम्र कैद की सजा सुनाई तो कोर्ट परिसर हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा। कोर्ट रूम से बाहर निकलने के दौरान मामले के मुख्य गवाह अजय राय ने अदालत की चौखट पर मत्था टेका और कहा कि तीन दशक से ज्यादा लंबे संघर्ष के बाद सत्य और न्याय की जीत हुई है। इसलिए न्यायपालिका को दंडवत प्रणाम कर हृदय से आभार जताया है।
31 वर्ष 10 महीने दो दिन बाद आया फैसला
अवधेश राय हत्याकांड में फैसला 31 वर्ष 10 महीने दो दिन बाद फैसला है। इस पर पीड़ित अवधेश राय की बेटी हनी ने खुशी जाहिर की। उन्होंने दिवंगत पिता के चित्र पर माल्यार्पण किया। साथ ही कहा कि बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया था। अदालत का फैसला स्वागतयोग्य है।
ऐसे चला मामला
तीन अगस्त 1991: अवधेश राय की हत्या और चेतगंज थाने में एफआईआर

12 अक्तूबर 1991: अदालत में आरोप पत्र पेश किया गया
18 मई 1995: मुख्तार अंसारी को जमानत मिली

10 सितंबर 2007: आरोपों पर विचार करने की प्रक्रिया शुरू हुई।
16 नवंबर 2007: साक्ष्य मुहैया कराने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।

22 मई 2023: सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा
5 जून 2023: एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाया

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