एक विशेष प्रवर्तन निदेशालय की अदालत ने शुक्रवार को लाइफ मिशन घोटाला मामले में केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय के पूर्व प्रमुख सचिव एम शिवशंकर की अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने उन्हें 14 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
इस साल अप्रैल में केरल उच्च न्यायालय ने भी जीवन मिशन घोटाला मामले में शिवशंकर की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि शिवशंकर का केरल की सत्तारूढ़ पार्टी में बहुत प्रभाव है। वह विशेष रूप से मुख्यमंत्री के करीबी हैं। इसी मामले में शिवशंकर की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है।
हाईकोर्ट में दायर जमानत याचिका में शिवशंकर ने कहा कि गिरफ्तारी एक राजनीतिक स्टंट है। याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई सीधा आरोप नहीं है। पूरा मामला प्रवर्तन निदेशालय द्वारा याचिकाकर्ता को टारगेट करने का है, क्योंकि याचिकाकर्ता केरल के मुख्यमंत्री का करीबी है।
बता दें कि ईडी ने केरल सीएमओ के पूर्व प्रमुख सचिव एम शिवशंकर को गिरफ्तार किया था। ईडी के मुताबिक, एम शिवशंकर ने 2019 के लाइफ मिशन घोटाले में कथित रूप से रिश्वत के रूप में कमीशन जुटाने में सक्रिय सहयोग दिया। लाइफ मिशन से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की प्राथमिकी और केरल सरकार के सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (वीएसीबी) की शिकायत से जुड़ा है, जो यूनिटेक बिल्डर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और साने वेंचर्स एलएलपी के खिलाफ है। मामला लाइफ मिशन परियोजना से कुछ व्यक्तियों द्वारा प्राप्त संदिग्ध आर्थिक लाभ और कुछ लोक सेवकों सहित विभिन्न व्यक्तियों द्वारा प्राप्त अवैध रिश्वत से जुड़ा है।
क्या है मामला?
लाइफ मिशन योजना के माध्यम से त्रिशूर जिले के वडक्कनचेरी में 140 परिवारों के लिए घर बनाने करार किया गया था। इस योजना कि लिए 18.50 करोड़ रुपये में से 14.50 करोड़ रुपये रेड क्रीसेंट द्वारा संयुक्त अरब अमीरात वाणिज्य दूतावास के माध्यम से दिए गए हैं। अनुबंध में शेष राशि का उपयोग करके एक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र के निर्माण का उल्लेख किया गया है। यूनिटेक बिल्डर्स के प्रबंध निदेशक संतोष एपन ने बताया था कि स्वप्ना सुरेश सहित आरोपियों ने प्रोजेक्ट के लिए 4.48 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी। इसके बाद आरोपी स्वप्ना सुरेश और सरिथ पीएस ने शिवशंकर पर रिश्वत लेने में मिलीभगत का आरोप लगाया था।