माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, इस कोड को अमेरिकी सिस्टम्स में चीन की सरकार से जुड़े एक हैकिंग समूह ने डाला था। उसकी इस कोशिश की जानकारी मिलने के बाद अमेरिकी सुरक्षा विभाग में हलचल मच गई।
अमेरिका के लिए रूस के बाद अब चीन के हैकर बड़ी समस्या बन गए हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि जिस दौरान अमेरिका ने चीन के जासूसी गुब्बारों को मार गिराया और उनके डेटा की जांच शुरू की, ठीक उसी दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई और टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट को चीन के हैकरों की ओर से अमेरिका के कई राज्यों में हैकिंग की कोशिशों की खबर मिली थी। चिंता की बात यह थी कि जिस कंप्यूटर कोड को हैकरों ने अमेरिकी सिस्टम्स में डालना शुरू किया, वह गुआम के टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम में भी पाया गया। यह बात डराने वाली इसलिए भी है, क्योंकि गुआम अमेरिका के सबसे बड़े एयरबेसों में शामिल है, जिसके नियंत्रण में प्रशांत महासागर में सबसे अहम बंदरगाह आते हैं।
चीन सरकार से जुड़ा है कोड डालने वाला हैकिंग समूह
माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, इस कोड को अमेरिकी सिस्टम्स में चीन की सरकार से जुड़े एक हैकिंग समूह ने डाला था। उसकी इस कोशिश की जानकारी मिलने के बाद अमेरिकी सुरक्षा विभाग में हलचल मच गई। दरअसल, अफसरों का कहना है कि यह एयरबेस अमेरिका और एशिया के बीच सुरक्षा के लिहाज से पुल का काम करता है। यानी ताइवान पर अगर चीन की ओर से कोई हमला किया जाता है, तो गुआम एयरबेस अमेरिकी सैन्य प्रतिक्रिया का सबसे अहम केंद्र होगा। हालांकि, चीन की ओर से गुआम की सुरक्षा प्रणाली को निशाना बनाने के बाद यह चिंता जताई जा रही है कि किसी भी तरह की युद्ध की स्थिति में चीनी हैकर्स अमेरिका के एयरबेसों को निशाना बनाकर उसे नेस्तनाबूत करने की कोशिश कर सकते हैं।
माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, इस कोड को अमेरिकी सिस्टम्स में चीन की सरकार से जुड़े एक हैकिंग समूह ने डाला था। उसकी इस कोशिश की जानकारी मिलने के बाद अमेरिकी सुरक्षा विभाग में हलचल मच गई। दरअसल, अफसरों का कहना है कि यह एयरबेस अमेरिका और एशिया के बीच सुरक्षा के लिहाज से पुल का काम करता है। यानी ताइवान पर अगर चीन की ओर से कोई हमला किया जाता है, तो गुआम एयरबेस अमेरिकी सैन्य प्रतिक्रिया का सबसे अहम केंद्र होगा। हालांकि, चीन की ओर से गुआम की सुरक्षा प्रणाली को निशाना बनाने के बाद यह चिंता जताई जा रही है कि किसी भी तरह की युद्ध की स्थिति में चीनी हैकर्स अमेरिका के एयरबेसों को निशाना बनाकर उसे नेस्तनाबूत करने की कोशिश कर सकते हैं।
ट्रेसिंग से बचाने के लिए अपनाई यह तकनीक
माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, चीनी हैकरों ने गुआम और बाकी राज्यों में अलग-अलग सिस्टम्स में हैकिंग कोड डालने के लिए जबरदस्त चालाकी की। इसे चोरी-छिपे कुछ सिस्टम्स में डाला गया और यह अलग-अलग घरों के राउटर्स और अन्य इंटरनेट से जुडे़ डिवाइसेज से भी होकर गुजरा, जिससे इसे ट्रैक करना भी काफी मुश्किल हो गया। खुफिया विभाग के मुताबिक, इस कोड का नाम ‘वेब शेल’ था। इसकी स्क्रिप्टिंग की वजह से हैकर्स इसे कहीं दूर बैठकर भी ऑपरेट कर सकते हैं। चूंकि घरों में लगे राउटर्स खास तौर पर पुराने मॉडल्स, जिनमें सॉफ्टवेयर भेदने में आसान होते हैं। इसलिए यह कोड कई सिस्टम्स को निशाना बना सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक, चीनी हैकरों ने गुआम और बाकी राज्यों में अलग-अलग सिस्टम्स में हैकिंग कोड डालने के लिए जबरदस्त चालाकी की। इसे चोरी-छिपे कुछ सिस्टम्स में डाला गया और यह अलग-अलग घरों के राउटर्स और अन्य इंटरनेट से जुडे़ डिवाइसेज से भी होकर गुजरा, जिससे इसे ट्रैक करना भी काफी मुश्किल हो गया। खुफिया विभाग के मुताबिक, इस कोड का नाम ‘वेब शेल’ था। इसकी स्क्रिप्टिंग की वजह से हैकर्स इसे कहीं दूर बैठकर भी ऑपरेट कर सकते हैं। चूंकि घरों में लगे राउटर्स खास तौर पर पुराने मॉडल्स, जिनमें सॉफ्टवेयर भेदने में आसान होते हैं। इसलिए यह कोड कई सिस्टम्स को निशाना बना सकता है।
कोड से दूसरे देशों के हथियार इस्तेमाल कर सकता है चीन
माइक्रोसॉफ्ट ने इस हैकिंग कोड की जानकारी भी प्रकाशित की है। बताया गया है कि इस हैकर समूह का नाम ‘वोल्ट टाइफून’ है। इस समूह को चीन की ओर से ही दूसरे देशों के अहम टेक इंफ्रास्ट्रक्चर- जैसे संचार, विद्युत और गैस से जुड़े संसाधनों को निशाना बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। इतना ही नहीं इसे नौसैनिक अभियानों और परिवहन व्यवस्था को भी बिगाड़ने के लिए कहा गया है। गुआम में हुई घटना को अमेरिकी अधिकारियों ने जासूसी से जुड़ा मुद्दा माना है। हालांकि, यह भी कहा गया है कि चीन के हैकर इस कोड को सिस्टम्स का सुरक्षा घेरा तोड़ने और इसके बाद तबाही वाले हमले कराने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
माइक्रोसॉफ्ट ने इस हैकिंग कोड की जानकारी भी प्रकाशित की है। बताया गया है कि इस हैकर समूह का नाम ‘वोल्ट टाइफून’ है। इस समूह को चीन की ओर से ही दूसरे देशों के अहम टेक इंफ्रास्ट्रक्चर- जैसे संचार, विद्युत और गैस से जुड़े संसाधनों को निशाना बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। इतना ही नहीं इसे नौसैनिक अभियानों और परिवहन व्यवस्था को भी बिगाड़ने के लिए कहा गया है। गुआम में हुई घटना को अमेरिकी अधिकारियों ने जासूसी से जुड़ा मुद्दा माना है। हालांकि, यह भी कहा गया है कि चीन के हैकर इस कोड को सिस्टम्स का सुरक्षा घेरा तोड़ने और इसके बाद तबाही वाले हमले कराने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
अमेरिका ने साथी देशों को जारी की एडवायजरी
माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि अभी तक उसे इस कोड के किसी तरह के हमले के लिए इस्तेमाल के सबूत नहीं मिले हैं। रूसी हैकरों से उलट चीनी हैकर्स आमतौर पर जासूसी को तरजीह देते हैं। टेक कंपनी की इस रिपोर्ट के मद्देनजर अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और कनाडा के लिए एडवायजरी भी जारी की है।
माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि अभी तक उसे इस कोड के किसी तरह के हमले के लिए इस्तेमाल के सबूत नहीं मिले हैं। रूसी हैकरों से उलट चीनी हैकर्स आमतौर पर जासूसी को तरजीह देते हैं। टेक कंपनी की इस रिपोर्ट के मद्देनजर अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और कनाडा के लिए एडवायजरी भी जारी की है।