ज्योतिषशास्त्र में भी आदित्य हृदय स्तोत्र को काफी महत्व दिया गया है। इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से जातक की कुंडली में सूर्य सहित सभी ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सूर्य की आराधना से व्यक्ति को सूर्य के समान तेज और यश की प्राप्ति होती है। सूर्य को मजबूत करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है। यदि इस स्तोत्र का पाठ रविवार से शुरू करके प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से किया जाए तो जातक को शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं,सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता है।
भगवान राम ने भी किया था पाठ
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भगवान सूर्य देव को प्रसन्न व उनकी अनुकम्पा पाने के लिए किया जाता है। इस पाठ का उल्लेख रामायण में वाल्मीकि जी द्वारा किया गया है जिसके अनुसार इस स्तोत्र को ऋषि अगस्त्य ने भगवान श्री राम को लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए दिया था। ज्योतिषशास्त्र में भी आदित्य हृदय स्तोत्र को काफी महत्व दिया गया है। इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से जातक की कुंडली में सूर्य सहित सभी ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
कैसे करें
सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।अब एक तांबे के लोटे में जल लेकर रोली या लाल चंदन और लाल पुष्प डालकर उगते हुए सूर्य को अर्पित करें।सूर्य को जल देते समय सूर्य के किसी भी मंत्र का जाप करें और वही सूर्यदेव के समक्ष आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।पाठ सम्पूर्ण हो जाने के पश्चात सूर्य देव का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें,और अपनी समस्या निवारण के लिए प्रार्थना भी करें।यदि आप प्रतिदिन पाठ नहीं कर सकते तो प्रत्येक रविवार को पाठ कर सकते हैं।
पाठ के नियम
ध्यान रहे सूर्य पूजा के दौरान काले या नीले रंग के वस्त्र नहीं पहनें नहीं तो पूजा का फल नहीं मिलता है।आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करते हो उन्हें रविवार के दिन मांसाहार, मदिरा तथा तेल का प्रयोग न करें। संभव हो तो रविवार को नमक का सेवन भी न करें।उचित लाभ के लिए मंत्रों का उच्चारण सही करें।
पाठ करने के लाभ
आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करने से अप्रत्याशित लाभ मिलता है।इससे धन, अच्छी नौकरी, घर में सुख समृद्धि आती है। इस पाठ को करने से हर तरह के दुख से छुटकारा मिल जाता है।आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और वह कार्य क्षेत्र में बहुत तरक्की करता है।यदि किसी व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो तो उसके लिए यह पाठ रामबाण उपाय है। इस पाठ को करने से मन का भय दूर होता है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।सरकारी विवाद या मुकदमा आदि में जीत के लिए ये पाठ करना लाभदायी रहता है।शारीरिक ऊर्जा में कमी हो तो भी इस पाठ को करने से फायदा मिलता है।