डब्ल्यूईएफ ने कहा कि अगले पांच सालों में दुनिया में एक चौथाई नौकरियां घट सकती हैं। इस दौरान नौकरियों में बढ़ोतरी की दर 10.2 फीसदी और गिरावट की दर 12.3 फीसदी रह सकती है।
दुनियाभर में अगले पांच वर्षों में 6 करोड़ से ज्यादा नए रोजगार पैदा होंगे। हालांकि, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी नई तकनीकों और आर्थिक मंदी के कारण इस दौरान 8 करोड़ से अधिक नौकरियों पर खतरा पैदा हो सकता है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के अनुसार, 45 देशों और 27 उद्योगों में शामिल 803 कंपनियों के सर्वे में यह जानकारी सामने आई है। इन कंपनियों में 1.13 करोड़ कर्मचारी काम करते हैं। दुनियाभर में 67 करोड़ से ज्यादा नौकरियां हैं। ऐसे में नई नौकरियों के पैदा होने और पुरानी नौकरियों के खत्म होने के आधार पर 1.4 करोड़ रोजगार पर खतरा होगा, जो कुल नौकरियों का करीब दो फीसदी होगा।
1,300 से अधिक कंपनियों ने की भर्ती
नेक्स्टवेव ने कहा, दो वर्षों में 1,300 से अधिक कंपनियों ने उसके स्नातक छात्रों की नियुक्ति की है। कंपनी के सीईओ राहुल अट्टुलुरी ने कहा, कंपनी की योजना 5 वर्षों में दस हजार से अधिक कंपनियों को शामिल करके सॉफ्टवेयर नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए प्लेसमेंट के अवसरों का सबसे बड़ा साधन बनाने की है।
भारत में 22 फीसदी नौकरियों पर खतरे की आशंका
दुनियाभर की तुलना में भारत पर इसका कम असर होगा। भारत में 22 फीसदी नौकरियों में बदलाव दिख सकता है जो वैश्विक स्तर पर 23% होगा। भारत में उद्योग परिवर्तन के लिए शीर्ष भूमिकाओं में एआई और मशीन लर्निंग विशेषज्ञ, और डेटा विश्लेषक और वैज्ञानिक होंगे। भारत उन सात देशों में शामिल है जहां गैर-सामाजिक नौकरियों की तुलना में सामाजिक नौकरियों के लिए रोजगार वृद्धि धीमी थी।
नौकरियों की मांग अप्रैल में पांच फीसदी घटी
दफ्तरों में बैठकर नौकरी करने वालों की मांग इस साल अप्रैल में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले पांच फीसदी घटी है। इस श्रेणी के रोजगार के लिए 2,715 विज्ञापन आए। इसका प्रमुख कारण सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नियुक्तियां कम होना है। नौकरी जॉब स्पीक इंडेक्स के अनुसार, नौकरी डॉट कॉम पर अप्रैल, 2022 में ऐसी नौकरियों के लिए 2,863 विज्ञापन आए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में नियुक्तियों में जो कमी आई है, उसकी कुछ भरपाई रियल एस्टेट, बैंक, वित्तीय सेवाएं व बीमा क्षेत्र (बीएफएसआई) ने की।
- रिपोर्ट के अनुसार, बड़े शहरों में कोलकाता, पुणे और हैदराबाद में रियल एस्टेट क्षेत्र में नियुक्तियों में क्रमश: 28 फीसदी, 22 फीसदी और 19 फीसदी की वृद्धि हुई। 16 साल से अधिक अधिक का अनुभव रखने वाले वरिष्ठ पेशेवरों की मांग सबसे ज्यादा रही।
- रियल एस्टेट के अलावा, तेल एवं गैस क्षेत्र क्षेत्र में सालाना आधार पर 20 फीसदी, बीमा क्षेत्र में 13 फीसदी व बैंक क्षेत्र में 11 फीसदी वृद्धि हुई।
- वाहन क्षेत्र तथा औषधि क्षेत्र में नियुक्तियों में क्रमश: 4 फीसदी और 3 फीसदी की वृद्धि हुई।