अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के पीछे का सच जानने को गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) शूटरों के बयान पर ही अटक कर रह गया है। 15 दिन बीतने के बाद भी हत्या की वजह, साजिश समेत अन्य सवालों को लेकर उसके पास शूटरों के बयान के अलावा कोई ठोस जवाब नहीं है।
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के पीछे का सच जानने को गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) शूटरों के बयान पर ही अटक कर रह गया है। 15 दिन बीतने के बाद भी हत्या की वजह, साजिश समेत अन्य सवालों को लेकर उसके पास शूटरों के बयान के अलावा कोई ठोस जवाब नहीं है। इसके अलावा हत्या में प्रयुक्त असलहों के बाबत दिए गए शूटरों के बयान की तस्दीक के लिए भी कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
शूटर सच बोल रहे हैं या झूठ, इसकी तस्दीक के लिए अब तक उनके लाई डिटेक्टर या पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को लेकर भी कोई पहल नहीं की गई।हत्याकांड में पकड़े गए तीनों शूटर वारदात के तुरंत बाद से ही कहने लगे थे कि उन्हाेंने नाम कमाने के लिए ऐसा किया। इसके बाद एसआईटी ने उन्हें पांच दिन तक कस्टडी रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ भी की, लेकिन शूटरों से कोई राज नहीं उगलवा सकी।
असलहे दिल्ली से आए तो टीम क्यों नहीं गई जांच के लिए?
प्रकरण में एक सवाल हत्याकांड में प्रयुक्त प्रतिबंधित पिस्टलाें को लेकर भी है। शूटरों से बरामद जिगाना पिस्टल के संबंध में दिल्ली के गोगी गैंग का नाम सामने आया। सवाल यह है कि अगर ऐसी कोई भी जानकारी सामने आई तो क्या एसआईटी के सदस्य इसकी कड़ियां जोड़ने के लिए दिल्ली गए। कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है, ऐसे में एसआईटी शूटरों के गोगी गैंग से कनेक्शन की बात नकार भी सकती है। फिर सवाल यह उठता है कि सात लाख रुपये मूल्य की तुर्किये में बनी पिस्टल आखिरकार बांदा, हमीरपुर और पानीपत में रहने वाले तीन बेहद लो प्रोफाइल अपराधियों के पास कैसे आई?